6 अगस्त 2016

ज़हनियत की जरीब हैं हम लोग - नवीन

ज़हनियत1 की जरीब2 हैं हम लोग
वाक़ई ख़ुश-नसीब हैं हम लोग
नर्म-नाज़ुक मिज़ाज है अपना
आदतन अन्दलीब3 हैं हम लोग
शेर पढ़ते हैं तिस4 बुझाते हैं
तिश्नगी4 के तबीब5 हैं हम लोग
आज तक जो हमें मिले ही नहीं
उन ख़तों के मुजीब6 हैं हम लोग
जो नराधम7 को भी क्षमा कर दे
उस धरम के ख़तीब8 हैं हम लोग
बादशाहों से कैसे मिलवाएँ
नायबों के नक़ीब9 हैं हम लोग
जो समझता है दिल की बात ‘नवीन’
उस अदब10 के अदीब11 हैं हम लोग
1 ज़हनियत – बुद्धि सम्बन्धित अवस्था 2 जरीब – मापने की एक विशेष पट्टी / फ़ीता 3 अन्दलीब – बुलबुल 4 तिस / तिश्नगी – प्यास 5 तबीब – चिकित्सक 6 मुजीब – उत्तरदाता 7 नराधम – अधम / नीच मनुष्य, अमानव, अमानुष 8 ख़तीब – धर्मगुरू, वक्ता 9 नक़ीब – चोबदार 10 अदब – साहित्य 11 अदीब – साहित्यकार
नवीन सी चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22


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