प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
दसों दिशा जगमग हुईं, धरती-गगन ललाम|
पहुँचे थे जिस क्षण अवध, लक्ष्मण-सीता-राम|१|
बम्ब पटाखे फूटते, कोलाहल के संग|
मनमोहक लगते मगर, फुलझड़ियों के रंग|२|
सजनी सजना से कहे, सजन सजाओ साज|
मुझे लादिए प्रीत से, धनतेरस है आज|३|
प्रीतम-पाती पढ़ रहे, प्रीत पारखी नैन|
शब्दों में ही ढूंढते, दीप अवलि सुख दैन|४|
कल-कल कहते कट गया, कितना काल कराल|
इस दीवाली तो सजन, दिल को कर खुशहाल|५|
अत्युत्तम, अनुपम, अमित, अद्भुत, अपरम्पार|
सुंदर, सरस, सुहावना, दीपों का त्यौहार|६|
यही बात कहते रहे, हर युग के विद्वान्|
दीपक-ज्ञान जले तभी, मिटे तमस-अज्ञान|७|
बुधिया को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात|
दिल में रहे उमंग तो, दीवाली दिन-रात|८|
दीवाली का है यही, दुनिया को सन्देश|
अपनों को भूलो नहीं, देश रहो कि विदेश|९|
चूनर साड़ी ओढ़ना, बिंदिया, कंगन संग|
गोरी तुझसे फूटते फुलझड़ियों से रंग|१०|
सजा थाल पूजा करें, साथ रहे परिवार|
हर घर में ऐसे मने, दीवाली त्यौहार|११|
रसबतियाँ बतिया रहे, ले हाथों में हाथ|
ये दीवाली ख़ास है, दिलदारा के साथ|१२|
बम्ब पटाखे फुलझड़ी, धरे अनोखे रंग|
खील बताशे खो रहे, पर, हटरी के संग|१३|
भरे पड़े हर सू, यहाँ, ऐसे भी इंसान|
फुस्सी बम से हौसले, रोकिट से अरमान|१५|
बहना की कुंकुम लगे, हर भाई के माथ|
मने दूज का पर्व भी, दीवाली के साथ|१६|
मातु, पिता, भाई, बहन, सजनी, बच्चे, यार|
जब-जब ये सब साथ हों, तब-तब है त्यौहार|१७|
रमा चरण पर राखिये, श्रद्धा सह निज माथ|
दीपावली मनाइए, दीप अवलि के साथ|१८|
दिवाली / दीवाली के दोहे
:- नवीन सी. चतुर्वेदी