28 सितंबर 2011

कवि की नज़र से बच सका हो, कौन सा वो मर्म है

उद्घोषणा पढ़िये 'समस्या - पूर्ति' वाले मंच की।
हरिगीतिका में छन्द रच कर, भेजिये अविलम्ब ही।।

'अनुरोध' - 'उत्सव' औ 'कसौटी', शब्द तीन दिये गये।
आह्वान है सब से, करें, अभि-नव प्रयोग नये नये।१।


बीसों विषय हैं अनछुए, निज - रुचि मुताबिक छांटिए।
अर्जित तजुर्बा-जानकारी, साथ सब के बाँटिए।।

रचते समय हो मूड जैसा, रस वही ले लीजिये।
गर हो मुनासिब, आप छंदों - को अलंकृत कीजिये।२।


कविधर्म रचनाधर्म, कवि का - कर्म, रचनाकर्म है।
कवि की नज़र से बच सका हो, कौन सा वो मर्म है।।

हो वक़्त कोई भी, सदा ही, नब्ज, कवि-कर में रही।
संसार को जो दे दिशा, कवि - सत्य में तो है वही।३।

[हरिगीतिका छन्द]

समस्या पूर्ति मंच -पाँचवी समस्यापूर्ति - हरिगीतिका छन्द - घोषणा

पाँचवी समस्या पूर्ति - हरिगीतिका छन्द - घोषणा

सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन 
और 
नवरात्रि की शुभ कामनाएँ



माँ दुर्गा के पावन पर्व के शुभारम्भ के साथ ही हम भी बढ़ते हैं पाँचवी समस्या पूर्ति की ओर, घोषणा पोस्ट के साथ।

छन्द
इस बार की समस्या पूर्ति का छन्द है हरिगीतिका
इस छन्द के बारे में पिछली दो पोस्ट्स में विस्तार से बातें हो चुकी हैं 
शब्द 

इस बार 'पंक्ति' की बजाय 'शब्द' ले रहे हैं हम। 
विषय, रस और अलंकार का चुनाव रचनाधर्मी अपनी-अपनी रुचि के अनुसार करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस का एक फायदा ये भी होगा कि हमें भाँति-भाँति के अद्भुत छन्द पढ़ने को मिलेंगे। 
आप जो रस-अलंकार ले रहे हैं या कोई विशेष प्रयोग कर रहे हैं, उस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी अवश्य लिख कर भेजें। 
विशेष पंक्ति इस बार नहीं है, परंतु विशेष प्रयोगों का स्वागत है। 
अन्य भाषा - बोलियों में भी छन्द आमंत्रित किए जा रहे हैं और वो छन्द संबन्धित रचनाधर्मी की प्रतिनिधि पोस्ट के साथ ही प्रकाशित किए जाएँगे। मतलब इस बार समापन पोस्ट नहीं होगी।
छंदों की संख्या उतनी रखें जिसे पढ़ने के लिए पाठक के मन में रुचि बरकरार रहे।

पुराने सहयोगियों को तो पता है परन्तु नए सहभागियों के लिए बताना आवश्यक लग रहा है कि अपने छंद navincchaturvedi@gmail.com पर भेजें नए साथी बिलकुल भी संकोच न करें यदि उन के छंदों में परिमार्जन आवश्यक लगा, तो प्रकाशन के पहले उन से संवाद भी स्थापित किया जाता है मंच के द्वारा

पहला शब्द - त्यौहार 
आप के छन्द में त्यौहार की जगह यदि पर्व या उत्सव बैठ रहा हो तो आप उसे भी ले सकते हैं 
उदाहरण :-
त्यौहार का माहौल आया, हर शहर हर गाँव में 
अद्भुत-अनोपम-श्रेष्ठ उत्सव, हिन्द की पहिचान हैं 
हर पर्व का आधार प्यारे, विश्व का कल्याण है

दूसरा शब्द - कसौटी
इस कसौटी शब्द के पर्यायवाची / समानार्थी शब्द भी ले सकते हैं रचनाधर्मी। उसे हाइलाइट कर दें।
उदाहरण :-
कुछ तो कसौटी ज़िंदगी के, साथ होनी चाहिए
हर हाल में हाज़िर रहे जो, हर परीक्षा के लिए

तीसरा शब्द - अनुरोध 
इस अनुरोध शब्द के पर्यायवाची / समानार्थी शब्द भी ले सकते हैं रचनाधर्मी। उसे हाइलाइट कर दें।
उदाहरण :-
है इल्तिज़ा इतनी - हमारी - कोशिशों को वेग दो 
परिवार में मिल कर रहें सब,  बस यही अनुरोध है 
[यहाँ पहली पंक्ति में 'हमारी' शब्द 'इतनी' और 'कोशिशों' दोनों शब्दों से जुडा हुआ है]

सभी रचनाधर्मियों से आह्वान किया जाता है कि भारतीय जन-मन में रचे-बसे इस अद्भुत शिल्प वाले मनोहारी छन्द 'हरिगीतिका' को अपने कल्पना संसार में अवश्य शामिल करते हुए भारतीय छन्द साहित्य की सेवा में अपना योगदान जारी रखें। आप लोगों के छन्दों की प्रतीक्षा रहेगी

एक निवेदन पाठकों से भी - इस मंच के माध्यम से भारतीय छंद साहित्य की सेवा में जुटे रचनाधर्मियों को आप की टिप्पणियों का इंतज़ार रहता है| सो प्लीज डू द नीडफुल ........))))))))))))))))))))  




जय माँ शारदे!

23 सितंबर 2011

हरिगीतिका छन्द की ऑडियो क्लिप्स

सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन



आइये सुनते हैं हरिगीतिका छन्द, हमारे सब के चहेते भाई श्री राजेन्द्र स्वर्णकार  जी के मधुर स्वर में 

[१] गणपति वन्दना 






वन्‍दहुँ विनायक, विधि-विधायक
, ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकं।
गजकर्ण, लम्बोदर, गजानन, वक्रतुंड, सुनायकं।।

श्री एकदंत, विकट, उमासुत, भालचन्द्र भजामिहं।
विघ्नेश, सुख-लाभेश, गणपति, श्री गणेश नमामिहं ।। 

[शब्द - नवीन सी. चतुर्वेदी - स्वर - राजेन्द्र स्वर्णकार]





[२] सरस्वती वन्दना





ज्योतिर्मयी! वागीश्वरी! हे - शारदे! धी-दायिनी !
पद्मासनी, शुचि, वेद-वीणा -  धारिणी! मृदुहासिनी !!

स्वर-शब्द ज्ञान प्रदायिनी! माँ  -  भगवती! सुखदायिनी !
शत शत नमन वंदन वरदसुत, मान वर्धिनि! मानिनी !!


[शब्द और स्वर - राजेन्द्र स्वर्णकार]



मैं राजेन्द्र भाई को हमेशा कहता हूँ कि आप वाकई माँ शारदा की असीम अनुकम्पा से अभिभूत सरस्वती पुत्र हैं एक बार उन्होंने फिर से मुझे सही साबित किया है 


ऊपर के उदाहरण पढ़/सुन कर नए लोग कहीं ये न समझने लगें कि यह छंद तो ईश-वन्दना जैसे उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होता है, इसलिए आइये अब एक अन्य उदाहरण पढ़ते हैं। इस की ऑडियो क्लिप नहीं है, यह साधारण पठंत [कविता पाठ] के अनुसार है। यदि आप लोगों ने कहा तो इस की ऑडियो क्लिप घोषणा पोस्ट के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे



[३] संसार उस के साथ है जिस को समय की फ़िक्र है

सदियों पुरानी सभ्यता को, बीस बार टटोलिए
किसको मिली बैठे-बिठाये, क़ामयाबी, बोलिए

है वक़्त का यह ही तक़ाज़ा, ध्यान से सुन लीजिए
मंज़िल खड़ी है सामने ही, हौसला तो कीजिए।१



चींटी कभी आराम करती, आपने देखी कहीं
कोशिश-ज़दा रहती हमेशा, हारती मकड़ी नहीं

सामान्य दिन का मामला हो, या कि फिर हो आपदा
जलचर, गगनचर कर्म कर के, पेट भरते हैं सदा।२



गुरुग्रंथ, गीता, बाइबिल, क़ुरआन, रामायण पढ़ी
प्रारब्ध सबको मान्य है, पर - कर्म की महिमा बड़ी

ऋगवेद की अनुपम ऋचाओं में इसी का ज़िक्र है
संसार उस के साथ है, जिस को समय की फ़िक्र है।३

[शब्द - नवीन सी. चतुर्वेदी]


तो ये थे गायन और पठंत शैली में हरिगीतिका छन्द के उदाहरण जानकार लोग तो सब जानते ही हैं, परन्तु, नए लोगों के लिए उदाहरण देना ज़रूरी होता है सिर्फ क़िताबी बातों से सीखना वाक़ई मुश्किल होता है, इसीलिये घनाक्षरी छन्द वाले आयोजन से मंच ने ऑडियो क्लिप्स का विकल्प भी अपनाना शुरू कर दिया है आयोजन दर आयोजन नए लोग जुड़ते जा रहे हैं, यह बहुत ही हर्ष का विषय है काश पुराने लोग भी इस साहित्य सेवा का सहभागी बनने के बारे में पुनर्विचार करें

जल्द ही हम लोग फिर से मिलेंगे 'घोषणा पोस्ट' के साथ...........तब तक आनंद लीजिये इन छन्दों का और कमर कस लीजिये इस बार, पहले से बेहतर आयोजन को मूर्त रूप देने के लिए

हालाँकि जिन लोगों के ई-मेल एड्रेस मंच के पास उपलब्ध हैं, उन सभी को मेल नोटिफिकेशन के साथ साथ ऑडियो क्लिप्स भी अटेच कर के भेजे गए हैं। फिर भी यदि किसी व्यक्ति को यहाँ ब्लॉग पर से इन audios को डाउनलोड करने या सुनने में दिक्क़त आ रही हो, तो वे कमेन्ट बॉक्स में अपने ई मेल पते के साथ इस बारे में लिख दें या ई मेल भेज कर सूचित कर दें।   


जय माँ शारदे!

21 सितंबर 2011

अति सर्वत्र वर्जयेत

बड़ा ही लुभावना कोटेशन है ये "अति सर्वत्र वर्जयेत"। सच ही तो है, मसलन:-

  • खाते ही चले जाओ तो पेट फट जाएगा, ये बात रिश्वत खाने वाले नेताओं पर लागू नहीं होती।
  • रोते ही चले जाओगे तो आँसू सूख जाएँगे - टी वी. सेरियल्स के मामलों में एप्लीकेबल नहीं, वहाँ तो आज सिर्फ़ आँसू ही बिक रहे हैं।
  • बैठे ही रहोगे तो निष्क्रिय हो जाओगे, ये कॉंग्रेस पर लागू नहीं, वो तो मंहगाई झेलती जनता को बिलखता देख कर भी हाथ पर हाथ धरे ही बैठी हुई है कब की।

और भी कई सारे उदाहरण दिए जा सकते हैं। 'अति' किसी भी बात की अच्छी नहीं। आज कल एक और 'अति' दीखने में आ रही है - हँसने की अति। तमाम टी. वी. चेनल्स पर जात जात के कॉमेडी शो परोसे जा रहे हैं। कॉमेडी करने के नये नये नुस्खे ईज़ाद किए जा रहे हैं। हँसना एक अच्छी बात है - निस्संदेह - पर कब, कहाँ, कैसे, क्यूँ और कितना जैसे प्रशनवाचक शब्द इस के साथ भी जुड़े हुए हैं।



विगत कुछ महीनों के कॉमेडी शो के एपिसोडस पर अगर हम सरसरी नज़र डालें तो स्पष्ट रूप से वल्गरिटी का बोलबाला दिखाई पड़ता है। यही होता है जब हम 'अति' वाली सीमा का उल्लंघन कर देते हैं। 'अति' से पहले की अवस्था होती ही है पूर्णता वाली अवस्था। मानव इतिहास गवाह है, जब जब मनुष्य ने 'अति' को नज़र अंदाज़ किया है - जन साधारण ने देर सबेर दूसरी राह चुनना ही मुनासिब समझा है। मसलन:-

  • हिन्दी फिल्मों में गोविंदा टाइप फिल्म्स
  • मंचीय कविता में भावनाओं को उछालती कविताएँ
  • इंदिरा गाँधी वाली इमरजेंसी
  • भाजपा का शाइन इंडिया
  • जनता दल की दलदल
  • अन्नू कपूर का तथाकथित नया संगीत, वग़ैरह वग़ैरह

तो वापस लौटते हैं कॉमेडी वालों की 'अति' पर। हँसने के बहाने और कितना भटाकाओंगे लोगों को? खास कर वो लोग जो परिवार के साथ रात का खाना खाते हुए इस तरह के शो देखते हैं, उन के सामने ख़ासी दिक़्क़त आने लगी है। भोंडे दृश्यों वाले गीत और फिल्मों तथा खिचड़ी टाइप टी. वी. सीरियल्स से ऊब कर ये लोग कॉमेडी की तरफ मुड़े थे, पर अब तो उन्हें यहाँ भी....................। हालाँकि 'सब टीवी' के शो'ज़् कुछ हद तक साफ सुथरे नज़र आते हैं, खास कर उन का लापता ग़ंज़ वाला सीरियल।



हास्य के बहाने क्या क्या परोसा जा रहा है आज कल!!! अंग प्रदर्शन ऐसा कि फेशन शो वालों को प्रेरणा लेनी पड़े। डबल मीनिंग वाले डायलोग ऐसे कि कादर खान भी इस नई कक्षा में शामिल होने के बारे में सोचें और ठहाकों की तो पूछो ही मत। आपस में एक दूसरे को खींचने के लिए व्यक्तिगत जीवन में घुसने का तो जैसे लाइसेन्स दे रखा है सभी प्रतियोगियों ने एक दूसरे को। कभी कभी खुद अपने मुंह पर हाथ रख कर शर्माने का उपालंभ भी दिखला जाते हैं ये लोग। वहाँ उपस्थित नारी शक्ति भी इस तथाक्तथित हास्य से अभिभूत दिखाई पड़ती है। दर्शकों का क्या है? टी वी पर आना भाई किसे अच्छा नहीं लगता।



समय रहते यदि ये कॉमेडी शो वाले नहीं चेतते हैं तो बहुत जल्द ही पब्लिक इन से ऊब कर किसी और ज़ानिब रुख कर सकती है।

16 सितंबर 2011

राहुल द्रविड़ द ग्रेट क्रिकेटर

राहुल द्रविड़ का नाम ले कर, आइये बातें करें|
हर दम कि जिन के चेहरे से, फूल खुशियों के झरें||
वो टीम के अन्दर रहें, या - फिर, जुदा हों टीम से|
हमने सुने अब तक न उन से, शब्द कड़वे नीम से||

इस मीडिया ने जब कि सब कुछ, जाँच औ परखा लिया|
'दी वाल' को दीवाल जैसा, नाम तब ही तो दिया||
इस ओर हर बोलर द्रविड़ को, देख कर डरता रहा|
तो उस तरफ बल्ला द्रविड़ का, स्कोर बुक भरता  रहा||

यह ज़िंदगी है दोस्त,कब ये, एक जैसी रह सकी|
राहुल द्रविड़ की ज़िंदगी में - भी, समय था अनलकी||
जब वक़्त रूठा हो, न कोई - बात बन पाए कभी|
आलोचना के वश भ्रमित हो, बोलने लगते सभी||

इक दौर था जब द्रविड़ के बिन, टीम चलती थी नहीं|
इक दौर था जब द्रविड़ के बिन, दाल गलती थी नहीं||
इक दौर फिर आया अचानक, द्रविड़ अपना खो गया|
हिन्दोसतां की टीम से ही, नाम गायब हो गया||

पर स्वाभिमानी आदमी कब,  भाव देता वक़्त को|
'कर्मेष्ठ', कर्मों से हिला दे, इंद्र के भी तख़्त को|
दिन रात मेहनत की, न परवा की, ज़रा भी 'निंद' की|
कुछ वक़्त बीता था, कि राहुल, शान था फिर हिंद की||

इस हाल के इंग्लेंड दौरे - के नतीज़े देखिये|    
उस के मुताबिक़ फिर द्रविड़ की, कामयाबी लेखिये||
  'दी वाल' तो दीवाल है भई, क्या कहें उस के लिए|
हम तो कहेंगे बस यही, जब - तक जिए, 'वट' से जिए|| 



[छन्द - हरिगीतिका]

14 सितंबर 2011

रूचि हो जो राजनीति में तो लड़िये चुनाव

घर-द्वार, परिवार से बड़ी न जीत हार,
स्वीकार या अस्वीकार, संस्कार निभाइए.

सोते जागते हमेशा, आबरू का ध्यान रखें,
आबरू के लिए सब कुछ ही लुटाइए.

धरती पे रहें  पाँव, खेलें न कदापि दाँव,
धूप हो या छाँव, काँव-काँव न सुनाइये.

रूचि हो जो राजनीति में तो लड़िये चुनाव,
राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये. 



समस्या पूर्ति मंच द्वारा घनाक्षरी छन्द पर आयोजित आयोजन के दौरान लिखा था इसे.  प्रकाशित अब कर रहा हूँ.

11 सितंबर 2011

अपनी वही ज़ुबान, जो कि हो हिन्दुस्तानी





अङ्ग्रेज़ी में दागते, हिन्दी के गुणगान
उदघोषक हैं टॉप के, ऊँची उन की शा
ऊँची उन की शान, ज्ञान की खान लुटाते
करें प्रज्वलित दीप, और फिर 'पैग' चढाते
देखा जब यह खेल, हो गए हम भी crazy
हिन्दी वाली 'आय' और खर्चे 'अङ्ग्रेज़ी

हिन्दी, हिन्दी, हिन्दवी, गूँजे चारों ओर 
हिन्दी-हिन्दुस्तान का, दुनिया भर में शोर
दुनिया भर में शोर, होड़ सी मची हुई है
पहले पहुँचे कौन, शर्त सी लगी हुई है
करो नहीं तुम भूल, समझ कर इस को चिन्दी
गूगल, माय्क्रोसोफ्ट, आज सिखलाते हिन्दी

हिन्दी में ही देखिये, अपने सारे ख़्वाब
हिन्दी में ही सोचियेकरिये सभी हिसाब
करिये सभी हिसाब, ताब है किस की प्यारे
ऐसा करते देख, आप को जो दुत्कारे
एप्लीकेशन-फॉर्म, भले न भरें हिन्दी में
पर अवश्य परिहास-विलाप करें हिन्दी में

हिन्दी भाषा से अगर, सचमुच में हो प्रेम
तो फिर मेरे साथ में, अभी लीजिये नै'म
अभी लीजिये नै'म, सभी मुमकिन हिस्सों में
हिन्दी इस्तेमाल - करें सौदों-क़िस्सों में
छोटी सी बस मित्र यही अपनी अभिलाषा
दुनिया में सिरमौर बने यह  हिन्दी भाषा

हिन्दुस्तानी बोलियों, को दे कर सम्मान
अङ्ग्रेज़ी को भी मिले, कहीं-कहीं पर स्थान
कहीं-कहीं पर स्थान, तभी भाषा फैलेगी
पब्लिक ने इन्ट्रेस्ट लिया, तब ही पनपेगी
भरी सभा के मध्य, बात कहते ऐलानी
अपनी वही ज़ुबान, जो कि है हिन्दुस्तानी



[हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में]

10 सितंबर 2011

હાલો વ્રજ યાત્રા માઁ - HAALO VRAJ YAATRAA MAA.N

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હાલો વ્રજ યાત્રા માઁ
ચૌર્યાસી કૉસ ની લીલી પરિક્રમા ઊપર ઍક પ્રસ્તુતિ [1996]
આયડિયા - શૈલેશ સુરેશ ભાઈ ચતુર્વેદી
સ્વર-સેવા - રાજેશ-મુકેશ બન્ધુ
શબ્દ-સેવા :- નવીન સી. ચતુર્વેદી
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HAALO VRAJ YAATRAA MAA.N
VRAJ CHAURAASEE KOS LEELEE PARIKRAMA  [1996]
WRITER - NAVIN C. CHATURVEDI
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vraj yaatraa mob
vraj yaatraa tents view
[vraj yatraa crowed and tents]

મને મારી વ્રજ યાત્રા રોજ યાદ આવૈ
લીલી પરિક્રમ્મા મને શ્યામ સું મિલાવૈ
મારા ઘેર આંગણે
ઍ વ્રજ નો ગોવાડીયો
સંગ લઈ ગ્વાળ-બાળ બાંસૂરી બજાવૈ

MANE MAAREE VRAJ YAATRAA ROJ YAAD AAVEI
LEELEE PARIKRAMMAA MANE SHYAAM SU.N MILAAVEI
MAARAA GHER AANGANE
E VRAJ NO GOVAADIYO
SANG LAEE GWAAL-BAAL, BAANSUREE BAJAAWEI

mathura vishram ghat, yamuna poojan, vraj yaatraa niyam
[vraj yaatraa niyam at vishram ghat mathura]

લઈ નિયમ વિશ્રામ ઘાટ અન્તર્ગ્રુહી પરિક્રમ્મા કર
તે પછી મધુવન, કુમુદ વન, તાલ વન શાન્તનુ સર
ખેંચરી ને બહુલા વન પછી રાધા કૃષ્ણ કુઁડ ગયા
કુસુમ-ચંદ્ર સરોવરે સ્નાન કર હર્ષિત થયા
મને મહારાસ લીલા રોજ યાદ આવૈ
મને.......

LAYEE NIYAM VISHRAM GHAAT ANTARGRUHEE PARIKRAMMAA KAR
TE PACHHEE MADHUVAN, KUMUDVAN, TAAL VAN, SHAANTANU SAR,
KHENCHAREE NE BAHULAA VAN PACHHEE RAADHAA KRISHN KUND GAYAA
KUSUM-CHANDR SAROVARE SNAAN KAR HARSHIT THAYAA
MANE MAHAARAAS LEELAA ROJ YAAD AAWEI
MANE.............


kusum soravar
 [kusum sarovar, goravrdhan, mathura]
shri mahaprabhu ji pratham milan
 [shri mahaprabhuji na pratham milan]

ઍંઠા પેઁઠા ગામ જોયુ, ઍની લીલા સાંભણી
આન્‍યોર માં સદ્દૂ પાંડે ની વખાણી લાગણી
ત્યાંજ છૅ પ્રાકટ્‍ય સ્થ્ણ જ્યાં પ્રભુ જી અવતર્યા
તે અલૌકિક ધામ ના શ્રદ્ધા સહિત દર્શન કર્યા
મહાપ્રભુજી ના 'પ્રથમ મિલન' યાદ આવૈ
મને...............

EI.NTHAA PEI.NTHAA GAAM JOYU ENEE LEELAA SAA.NBHADEE
AANYOR MAA.N SADDU PAA.NDE NEE VAKHAANEE LAAGADEE
TYAA.NJ CHHE PRAAKTY STHAL, JYAA.N PRABHU JEE AVATARYAA
TE ALAUKIK DHAAM NAA SHRADDHAA SAHIT DARSHAN KARYAA
MAHAAPRABHUJEE NAA 'PRATHAM MILAN' YAAD AAWEI
MANE .................


jatipra, mukharvind, govardhan
[jtipura mukharvind darshan]

કુંડ ગોવિઁદ પૂછરી પછી કુંડ નવલ અપ્સરા
સુરભી, હરજી કુંડ થઈ આવી ગયા જતીપુરા
વૈશ્ણવો મૂખારવિંદ પે દૂધ ચઢાવવા ઉમટ્‍યા
સાંઝ ના શણગાર આરતી ના લાભો લૂટ્‍યા
મને દૂધ ધારા ની પરિક્રમ્મા યાદ આવૈ
મને...............

KUND GOVIND POOCHHAREE PACHHEE KUND NAVAL-APSARAA
SURABHEE, HARJEE KUND THAYEE AAVEE GAYAA JATEEPURAA
VAISHNAVO MUKHAARVIND PE DHUDH CHADHAAVVAA UMATYAA
SAA.NJH NAA SHANAGAAR AARTEE NAA LAABHO LOOTYAA
MANE DOODH DHAARAA NEE PARIKRAMMAA YAAD AAWEI
MANE.........


giriraj parikrama tarahatee
[giriraaj tarahatee]

તેલ-ઘી ના કૂંવા જોયા અને સિંદુરી શીળા
શ્યામ ઢાક, દાન ઘાટી, માનસી ગંગા ગયા
સાત દી ગિરિરાજ ના સાન્નિધ્ય માં રહેવા મડ્યુ
તરહટી ની રજકણો માં અર્થ જીવન નું જડ્યુ
મને કુંજવાડા છપ્પન ભોગ યાદ આવૈ
મને...............

TEL GHEE NAA KOOWAA JOYAA, ANE SINDOOREE SHILAA
SHYAAM DHAAK, DAAN GHAATEE, MAANSEE GANGAA GAYAA,
SAAT DEE GIRIRAAJ NAA SAANNIDHY MAA.N RAHEVAA MALYU
TARAHATEE NEE RAJKANO MAA.N ARTH JEEVAN NUN JADYU
MANE KUNJWAADAA, CHHAPPN BHOG YAAD AAWEI
MANE...........


kunjawaadaa, chhappan bhog
 [kunjwada-chhappan bhog]

ટોંડ માં જોવા મડ્યુ શ્રી નાથ જી નો જલઘડા
આદિ બદ્રી, અલખનન્દા, ગંગ યમુનોત્રી ચઢ્યા
કામ વન માં કેટલાકો તીર્થો ના દર્શન થયા
બદ્રી-કેદાર, સેતુ બંધ, રામેશ્વર, પુષ્કર, 'ગયા'
મને ગોકુળ ચંદ્રમા જી રોજ યાદ આવૈ
મને................

TO.ND MAA.N JOVAA MADYU SHREE NAATH JEE NO JALGHADAA
AADI BADREE, ALAKHNANDAA, GANG YAMUNOTREE CHADHYAA
KAAMVAN MAA.N KETALAAKO TEERTHO NAA DARSHAN THAYAA
BADREE-KEDAAR, SETU BANDH, RAAMESHWAR, PUUSHKAR, GAYAA
MANE GOKUL CHANDRAMAA JEE ROJ YAAD AAWEI
MANE.............


gokul chandramaji temple
[gokul chandrama ji temple]
peacock in mor kutee
[morkuti]

સુનહરા ની કદમ ખંડી, પ્રેમ - પીત પોખરા
ઊંચા ગાંવ, દેહ કુંડ માં દાન સ્વર્ણ ના કર્યા
દાનગઢ, માનગઢ, ગહવર વન, મૉર કુટી
ખોર સાંકરી માં ચૌબાજી ની ઠંડાઈ ઘુટી

SUNAHARAA NEE KADAM KHANDEE, PREM-PEET POKHRAA
OO.NCHAA GAAM, DEH KUND MAA.N DAAN SWARN NAA KARYAA
DAANGADH, MAANGADH, GAHAWAR VAN, MOR KUTEE
KHOR SAA.NKHAREE MAA.N CHAUBAAJEE NEE THANDAAEE GHUTEE



bhang, thandaaee
[bhang thandai]

ઓહોહો હોહો હો
કૃષ્ણ બલદેવ, યમુના મૈયા
ઐસી આવે, હરિગુણ ગાવૈ
હરિ કે ચરણાર્વિન્દ મેં ધ્યાન લગાવૈ
જબ નજર આવૈ
હાથી પે સવાર
કૃષ્ણ કન્હૈયા નજર આવૈ
દાનગઢ વારે - માનગઢ વારે
મોરકુટી ગહવર વન વારે
નંદ કે દુલારે યશોદા કે પ્રાન પ્યારે
લેના હો .............................
ચલે આવ............. ચલે આવ................. ચલે આવ.................

O HO HO   HO HO HO
KRISHV BALDEV, YAMUNAA MAIYAA
EISEE AAVEI, HARI GUN GAAWEI
HARI KE CHARNAARVIND ME.N DHYAAN LAGAAWEI
JAB NAZAR AAWEI
HAATHEE PE SAWAAR
KRISHN KANHEIYAA NAZAR AAWEI
DAANGADH VAARE, MAANGADH VAARE
MORKUTEE, GAHAVAR VAN VAARE
NAND KE DULAARE
YASHODAA KE PRAAN PYAARE
LENAA HO
CHALE AAV................CHALE AAV.............. CHALE AAV


balika swaroop shree raadhaa raanee
[balika swarup raadhaa raanee]

ખોર સાંકરી માં ચૌબાજી ની ઠંડાઈ ઘુટી
બરસાના ની રાધારાની રોજ યાદ આવૈ
મને..................

KHOR SAA.NKHAREE MAA.N CHAUBAAJEE NEE THANDAAEE GHUTEE
BARSAANAA NEE RAADHAA RAANEE ROJ YAAD AAWEI
MANE................



કરહલા સંકેત વન અને શ્યામ તલૈયા
હાઉ-બિલાઉ, લોટન બિહારી, છાછ મલૈયા
ચરણ ગંગા, પાંડુ ગંગા, જોયુ નંદ નું ભવન
કોકિલા વન, ટેર કદમ્બ, બઠૈન, જાવ વન
કાનૂડા નો નંદ ગાંવ રોજ યાદ આવૈ
મને......................

KARHALAA, SANKET VAN ANE SHYAAM TALEIYAA
HAAU BILAAU, LOTAN BIHAAREE CHHACHH MALEIYAA
CHARAN GANGAA, PAANDU GANGAA, JOYU NAND NUN BHAWAN
KOKILAA VAN, TERM DADAMB, BATHEIN, JAAV VAN
KAANUDAA NUN NAND GAAM ROJ YAAD AAWEI
MANE..................


nand gaam
[nand gaam]

ક્ષીર સાગર, શેષ સાઈ, જોયા પૌઢા નાથ જી
કોટવન, લાલન-ખેલન વન, સાક્ષી ગોપાલ જી
પય સરોવર માં કર્યા સ્નાન જઇ પૈગામ માં
દાઊજી નું મુકુટ જોયું શેરગઢ ગામ માં
ચતુર્ભુજ રાય મને રોજ યાદ આવૈ
મને..........................

KSHEER SAAGAR, SEHSH SAAEE, JOYAA PAUDHAA NAATH JEE
LOTVAN, LAALAN-KHELAN VAN, SAAKSHEE GOPAAL JEE
PAY SAROVAR MAAN KARYAA SNAAN JAYEE PAIGAAM MAA.N
DAAUJEE NUN MUKUT JOYU SHERGADH GAAM MAA.N
CHATURBHUJ RAAY MANE ROJ YAAD AAWEI
MANE............

shri yamuna ji
[shri yamuna ji]

માતુ શ્રી યમુના જી ના મહિના પછી દર્શન કર્યા
ચીરઘાટ, ઓબેગાંવ, ગોરે દાઊજી ગયા
ગુંજા વન, કાત્યાયની, વિહાર વન, બચ્છ વન
શ્યામ વન, માંટ વન, બેલ વન, ભાંડીર વન
ખિચડી મનોરથ મને રોજ યાદ આવૈ
મને......................

MAATU SHREE YAMUNAA JEE NAA MAHINAA PACHHEE DARSHAN KARYAA
CHEER GHAAT, OBEGAAM, GORE DAAUJEE GAYAA
GUNJAA VAN, KAATYAAYANEE, VIHAAR VAN, BACHCHH VAN
SHYAAM VAN, MAA.NT VAN, BELVAN, BHAANDEER VAN
KHICHDEE MANORATH MANE ROJ YAAD AAWEI
MANE..............

khichadee
[khichadi]
yamuna naukaa vihaar
 [nauka vihar at yamuna]

યમુના ની લહરો પર હોડી ચાલે જેમ
માઁ ના ખોડા માં કોઈ બાળક ઝૂલે
ઍવો આનંદ ત્રણે લોકો માં દુર્લભ
આ આનંદ કોઈ કેવી રીતે ભૂલે

YAMUNAA NEE LAHERO PAR HODEE CHAALE JEM
MAA.N NAA KHODAA MAA.N KOEE BAALAK JHOOLE
EVO AANAND TRANE LOKO MAA.N DURLABH
AA AANAND KOYEE KEVEE REETE BHOOLE

govind dev temple, vrindavan
rang ji temple vrindavan
shahji temple vrindavan
[goveind dev temple, rangji temple and shah ji temple - vrindavan]

પાંચ હજાર મંદિરો છે વૃંદાવન માં સાંભડ્યુ
ઘેર ઘેર મંદિરો છે ટૂંક માં ઍ જાણ્યુ

PAANCH HAJAAR MANDIRO CHHE VRINDAAVAN MAAN SAAMBHDYU
GHER GHER MANDIRO CHHE TOO.NK MAA.N E JAANYU


sevakunj vrindavan
nidhivan, vrindavan
[seva kunj, nidhivan - vrindavan]

સેવા કુંજ, નિધિવન માં રોજ રાસ થાય છે
જેને કોઈ જોઈ ના શકે, ઍવુ કહેવાય છે
બાંકે બિહારી મને રોજ યાદ આવૈ
મને.................

SEVAA KUNJ NIDHI VAN MAA.N ROJ RAAS THAAY CHHE
JENE KOYEE JOYEE NAA SHAKE EVU KAHEVAAY CHHE
BANKE BIHAAREE MANE ROJ YAAD AAWEI
MANE............... 
shri banke bihari, vrindavan
[banke bihari - vrindavan]

વૃંદાવન રહી ને પછી માનસરોવર ગયા
જ્યાં શ્રી રાધા રાની જૂ ના નેત્રો ના દર્શન થયા
લોહવન જઈ ને શનિદેવ ના દર્શન કર્યા
તે પછી નંદી-અનંદી થઈ ને દાઊજી ગયા
મને બલદાઊ ભૈયા રોજ યાદ આવૈ
મને........................

VRINDAAVAN RAHEE NE PACHHEE MAAN SAROVAR GAYAA
JYAA.N SHREE RAADHAA RAANEE JOO NAA NETRO NAA DARSHAN THAYAA
LOHVAN JAYEE NE SHANIDEV NAA DARSHAN KARYAA
TE PACHHEE NANDEE ANADEE TAYEE NE DAAUJEE GAYAA
MANE BALDAAU BHAIYAA ROJ YAAD AAWEI
MANE..............

shri balabhadr, daaoojee
[daauji]
gokulnathji temple, gokul
raman reti, gokul
[gokulnath ji temple and raman reti - gokul]

ચિંતાહરણ મહાદેવ, બ્રમ્‍હાંડ ઘાટ જઇ
પછી રમણ રેતી માં પલોટી ધન્ય-ધન્ય થઈ

CHINTAA HARAN MAHAADEV, BRAHMAA.ND GHAAT JAYEE
PACHHEE RAMAN RETEE MAA.N PALOTEE DHANY DHANY THAYEE


vallabh ghat, gokul
thakurani ghat gokul
 [vallabh ghat and thakurani ghat - gokul]

વલ્લભ ઘાટ, ઠાકુરાણી ઘાટ, ગોકુળ નાથ જી
રાધાજી ના રાવલ ગાંવ માં નવાવ્યુ માથ જી
મને મારી મથુરા જી રોજ યાદ આવૈ
મને......................

VALLABH GHAAT, THAKURAANEE GHAAT, GOKUL NAATH JEE
RAADHAA JEE NAA RAAWAL GAAM MAA.N NAVAAVYU MAATH JEE
MANE MAAREE MATHURAA JEE ROJ YAAD AAWEI
MANE.................

shri krishn janm sthan, mathura
vishram ghat, mathura
 [krishna janm sthan and vishram ghat mathura]

મને મારી મથુરા જી રોજ યાદ આવૈ
વ્રજ ની બૈઠકો મને રોજ યાદ આવૈ
મહારાજ શ્રી ની પધરામણી રોજ યાદ આવૈ
ગૌર બાપા ના હાંડા મને રોજ યાદ આવૈ
તપેલી મનોરથ મને રોજ યાદ આવૈ
ભોજન થાળી, ચરણ પહાડી રોજ યાદ આવૈ
ચુનરી મનોરથ મને રોજ યાદ આવૈ
શ્યામ ઘાટ રામ ઘાટ રોજ યાદ આવૈ
શ્રી ગોપાલ જી ના મંદિર મને રોજ આવૈ
રામ-શ્યામ તુલશી કુટીર રોજ યાદ આવૈ
મને...................

MANE MAAREE MATHURAA JEE ROJ YAAD AAWEI
VRAJ NEE BAITHKO MANE ROJ YAAD AAWEI
MAHAARAAJ SHREE NEE PADHARAAMANEE ROJ YAAD AAWEI
GAUR BAAPAA NAA HAA.NDAA MANE ROJ YAAD AAWEI
TAPELEE MANORATH MANE ROJ YAAD AAWEI
BHOJAN THAADE, CHARAN PAHAADEE ROJ YAAD AAWEI
CHUNAREE MANORATH MANE ROJ YAAD AAWEI
SHYAAM GHAAT RAAM GHAAT ROJ YAAD AAWEI
SHREE GOPAAL JEE NAA MANDIR MANE ROJ YAAD AAWEI
RAAM SHYAAM TULSHEE KUTEER ROJ YAAD AAWEI
MANE.............


ઍ..........................

વ્રજ ધામ ફર્યા ચાલીસ દિવસ પછી પાછા આવ્યા મથુરા જી
વિશ્રામ ઘાટે, યમુના કાંઠે નિયમ છોડાવ્યો ચૌબાજી
દાન-ધર્મ-સંકલ્પ કર્યા વ્રજ યાત્રા નિમિત્ત ને થયા રાજી
પંચ કોસી પરિક્રમ્મા કરી ઍમ પૂર્ણ થઈ વ્રજ યાત્રા જી

VRAJ DHAAM FARYAA CHAALEES DIVAS
PACHHEE PAACHHAA AAVYAA MATHURAA JEE
VISHRAAM GHAATE YAMUNAA KAA.NTHE
NIYAM CHHODAAVYAA CHAUBAAJEE
DAAN DHARM SANKALP KARYAA
VRAJ YAATRAA NIMITT NE THAYAA RAAJEE
PA.NCH KOSEE PARIKRAMMAA KARE
EM POORN THAYEE VRAJ YAATRAA JEE


સપ્ત પુરી અને ચારો ધામ વિરાજે વ્રજ ભૂમિ માં જી
સાંઝ સવારે ગૌર પુકારૈ જય જય યમુના મૈયા કી
ઘડી ઘડી લાગે બાજી મોરલી ધર ની મોરલી બાજી
ગલિયે, ગલિયે રાધા રાધા, કણ-કણ માં કાનૂડા જી

SAPT PUREE ANE CHAARO DHAAM
VIRAAJEI VRAJ BHOOMI MAA.N JEE
SAA.NJH SAVAARE, GAUR PUKAARE
JAY JAY YAMUNAA MAIYAA KEE
GHADEE GHADEE LAAGE BAAJEE
MORLEE DHAR NEE MORLEE BAAJEE
GALIYE GALIYE RAADHAA RAADHAA
KAN KAN MAA.N KAANOODAA JEE


વ્રજ યાત્રા જે ભક્ત કરે, ભવ યાત્રા ઍની સફળ થાવે
વ્રજ રજ જે તન માં લાગે ઍ હરિ ચરણો માં રમ જાવે
હરિદાસો નું દાસ અભણ 'કવિદાસ' શું બીજુ બતડાવે
યમુના સ્નાન કરે જે તેમના અંત સમય યમ ના આવૈ
તેના અંત સમય યમ ના આવૈ

VRAJ YAATRAA JE BHAKT KARE
BHAV YAATRAA ENEE SAFAL THAAVE
VRAJ RAJ JE TAN MAA.N LAAGE
E HARI CHARANON MAA.N RAM JAAVEI
HARIDAASO NUN DAAS ABHAN 'KAVIDAAS'
SHUN BEEJU BATADAAVE
YAMUNAA SNAAN KARE JE TEMNAA
ANT SAMAY YAM NA AAWEI
TENAA ANT SMAY YAM NA AAWEI


હાલો રે હાલો 
 હાલો રે હાલો 
હાલો રે હાલો
વ્રજ યાત્રા માં
હાલો રે હાલો વ્રજ યાત્રા માં

HAALO RE HAALO
HAALO RE HAALO
HAALO RE HAALO
VRAJ YAATRAA MAA.N
HAALO RE HAALO VRAJ YAATRAA MAA.N

sarve vaishnavo ne navin c. chaturvedi naa jay shri krishn.
purn purshottam, yashoda nandan, anand ghan shri shyam sundar naa charan kamalo maan samarpit.
પ્રેમ થી બોલો - જય શ્રી કૃષ્ણ
PREM SE BOLO - JAY SHREE KRISHN