मैं एहतियाते-हुस्ने-ख़ला में लगा रहा - नवीन

मैं एहतियाते-हुस्ने-ख़ला में लगा रहा।
इनसान हूँ सो कारे-वफ़ा में लगा रहा॥
ये काम करना सब से ज़ुरूरी था इसलिये।
मैं लमहा-लमहा फ़िक्रे-फ़ज़ा में लगा रहा॥
ख़ामोशियों से डर के तमाम उम्र साहिबान।
मैं कारोबारे-सिन्फ़े-नवा में लगा रहा॥

नवीन सी चतुर्वेदी


बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब
मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊलु फ़ाइलातु  मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212

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