जो
वफ़ादार हों उन को ही वफ़ादार मिलें।
हम गुनहगार हैं हम को तो गुनहगार मिलें॥
हम गुनहगार हैं हम को तो गुनहगार मिलें॥
आख़िरश वक़्त ने हम से भी कहलवा ही दिया।
हम भी सामान हैं हम को भी ख़रीदार मिलें॥
हम भी सामान हैं हम को भी ख़रीदार मिलें॥
हम फ़रिश्तों की रिहाइश में न रह पायेंगे।
वे जो इस पार मिले हैं वही उस पार मिलें॥
वे जो इस पार मिले हैं वही उस पार मिलें॥
जिन की बानी में दवाओं का असर हो मौजूद।
ऐ ख़ुदा ऐसे मसीहाओं को बीमार मिलें॥
ऐ ख़ुदा ऐसे मसीहाओं को बीमार मिलें॥
देख अपनों से निगह फेरना अच्छा नहीं है।
अब तो उलफ़त के तरफ़दारों को दरबार मिलें॥
अब तो उलफ़त के तरफ़दारों को दरबार मिलें॥
मुद्दतें हो गईं बरसात झमाझम न हुई।
अब तो अँखियों के मरुस्थल को मददगार मिलें॥
अब तो अँखियों के मरुस्थल को मददगार मिलें॥
रोटियाँ बाँटने वालों से गुजारिश है ‘नवीन’।
ऐसा कुछ कीजै कि मज़दूरों को रुजगार मिलें॥
ऐसा कुछ कीजै कि मज़दूरों को रुजगार मिलें॥
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे
रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन
फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122
1122 1122 22
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