फोटो में श्री भगवान दत्त जी के साथ लोकर्षि श्री राजेन्द्र रंजन जी [खड़े हुये]
श्री राजेन्द्र रंजन जी का युवावस्था का फोटो है यह
घनाक्षरी
छन्द
लाखन
की गिनती में जनता नें जेलें भरीं ,
तरस
रहे हे कैदी वस्त्र-तसलान कों ।
डेरन में ढेरन कंटीले तार-घेरन में,
भेरन
की भांति बंद कियौ इनसान कों।
रूखी दार-रोटिन की बात मत पूंछौ कछू,
तडप
रहे हे कहूं कैदी जल-पान कों।
भूख सही प्यास सही गन्दगी की बास सही,
पै न तजी दासता निबारन की बान कों।
“““““““‘
जोस भरी जनता नें भारत की जेलें भरीं,
रेलें भरी बन्दिन के भारी यातायात सों।
होडाहोडी कोडा सहे , छातिन पै घोडा सहे,
रोडा कुटबाये गये छाले भरे हाथ सों।
हथकडी-बेडी सही, आंख-भोंह टेढी सहीं ,
भीत हू भये न रंच बंदी पद-घात सों ।
कष्ट कारागार के कठोर सों कठोर सहे ,
पै न हटे पीछें देशभक्त निज बात सों ।
स्व.
श्री भगवानदत्त चतुर्वेदी
सौजन्य : श्री राजेन्द्र रंजन जी
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