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डा. श्याम सखा श्याम का ग़ज़ल संग्रह "शुक्रिया ज़िन्दगी ' |
शुक्रिया ज़िन्दगी” के लिये शुक्रिया। सकारात्मक होना इस अवसाद के दौर में एक महती और दुर्लभ उपलब्धि है। बीस में से उन्नीस प्रकाशित ग़ज़ल –संग्रहों के उन्वान में हताशा , अवसाद या पलायन का अर्थ रखने वाले शब्द मिलते हैं। इसलिये यदि किसी पुस्तक का शीर्षक “शुक्रिया-ज़िन्दगी” दिखाई दे तो नि:सन्देह हर्षमिश्रित कौतूहल का भाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। लेकिन इसके फौरन बाद ग़ज़लकार का नाम डा. श्याम सखा “श्याम” देखने के बाद एक गहरी आश्वस्ति भी हो जाती है क्योंकि साहित्य के क्ष्रेत्र में यह नाम अपनी पुख़्तगी के साथ साथ अपनी सकारात्मक सोच के लिये भी विख्यात है। डा श्याम सखा “श्याम” साहित्य के खितमतगार ही नहीं संरक्षक , उत्प्रेरक और दिशा –निर्देशक भी हैं और उनके व्यक्तित्व के इन आयामो के आलोक में उनके इस गज़ल –संग्रह को पढा जाय तो यह ग़ज़ल