किसी
की याद के सावन जब आहें भरते हैं।
हम आँसुओं के हिंडोलों में ऐश करते हैं॥
हम आँसुओं के हिंडोलों में ऐश करते हैं॥
हवा सिसकती है अब्रों की ओट में छुप कर।
तुम्हारे लम्स का जब उस से ज़िक्र करते हैं॥
तुम्हारे लम्स का जब उस से ज़िक्र करते हैं॥
जो देखते हैं उन्हें भी बहा के ले जाएँ।
ग़मों के दरिया इस अन्दाज़ से उतरते हैं॥
ग़मों के दरिया इस अन्दाज़ से उतरते हैं॥
मुहब्बतों का हुनर सब के बस की बात नहीं।
फिसलनी सत्ह पे कम ही क़दम ठहरते हैं॥
फिसलनी सत्ह पे कम ही क़दम ठहरते हैं॥
डगर-डगर पे नगर की बशर-बशर है उदास।
गुहर बिखरने लगें तो बहुत बिखरते हैं॥
गुहर बिखरने लगें तो बहुत बिखरते हैं॥
हिंडोला – एक तरह का झूला, अब्र – बादल, लम्स –
स्पर्श, बशर – मनुष्य, गुहर – मोती
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून
महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन
मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
1212 1122 1212 22
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