बैद की
बाँहों में रह कर भी जो तनहा हो जाऊँ
इस से अच्छा तो यही है कि मैं अच्छा हो जाऊँ
इस से अच्छा तो यही है कि मैं अच्छा हो जाऊँ
गर्मियाँ ओढ के गरमी के ग़दर देख लिये
अब मेरे हक़ में यही है कि मैं ठण्डा हो जाऊँ
अब मेरे हक़ में यही है कि मैं ठण्डा हो जाऊँ
प्रीत के रंग में रँगने को ज़ुरूरी है कि मैं
कृष्ण की मुरली की मानिन्द सुरीला हो जाऊँ
कृष्ण की मुरली की मानिन्द सुरीला हो जाऊँ
एक अरसा हुआ क़तरे को रवानी न मिली
वक़्त की धार में मिल जाऊँ तो बहता हो जाऊँ
वक़्त की धार में मिल जाऊँ तो बहता हो जाऊँ
मैं भी क्या ख़ूब हूँ क्या ख़ूब जतन में हूँ मगन
ज़ह्र पीना नहीं और आस है नीला हो जाऊँ
ज़ह्र पीना नहीं और आस है नीला हो जाऊँ
मेरे अन्दर का बशर1 रोज बदल जाता है
मुख़्तलिफ़2 लहजे न अपनाऊँ तो गूँगा हो जाऊँ
1व्यक्ति 2 अलग-अलग तरह के
मुख़्तलिफ़2 लहजे न अपनाऊँ तो गूँगा हो जाऊँ
1व्यक्ति 2 अलग-अलग तरह के
जो भी जैसे भी हो अब ये ही तो बाक़ी है ‘नवीन’
या तो बन जाऊँ तमाशा कि तमाशा हो जाऊँ
या तो बन जाऊँ तमाशा कि तमाशा हो जाऊँ
नवीन सी चतुर्वेदी
बहरे
रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन
फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122
1122 1122 22
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