19 नवंबर 2019

पुरुष दिवस पर कविता - अर्चना चतुर्वेदी


मर्द के दर्द

तुमने कहा एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो ?
मैं खटता रहा दिन रात ताकि जुटा सकूँ
सिंदूर के साथ गहने कपड़े तुम्हारे लिए
और देख सकूँ तुम्हे मुस्कुराते हुए ..

तुमने कहा मर्दों के दिल नहीं होता
और मैं मौन आंसू पीता रहा .और छुपाता रहा अपने हर दर्द को
और उठाता रहा हर जिम्मेदारी हँसते हँसते ..
ताकि तुम महसूस ना कर सको किसी भी दर्द को और खिलखिलाती रहो यूँ ही

तुम मुझे बदलना चाहती थी और जब मैंने ढाल लिया खुद को तुम्हारे मुताबिक
और एक दिन कितनी आसानी से तुमने कह दिया
तुम बदल गए हो ...
और इस बार मैं मुस्कुरा दिया था हौले से

अबकी तुमने कहा ‘तुम मर्द एक बार में सिर्फ एक काम ही कर सकते हैं
हम महिलाएं ही होती हैं मल्टीटास्किंग में महारथी
और मैं ऑफिस ,बॉस ,घरबच्चे ,माँ और
तुम्हें खुश रखने के सारे जतन करता रहा
बिना थके बिना हारे

सच कहा तुमने ,
नहीं जानता मैं सिंदूर की कीमत
ना ही होता है मुझे दर्द आखिर मैं हूँ मर्द
और मर्द के दर्द नहीं होता ।।

अर्चना चतुर्वेदी

9 अक्तूबर 2019

माँ सरस्वती के चालीस नाम वाली सरस्वती वन्दना - नवीन

हे मरालासन्न वीणा-वादिनी माँ शारदे।

वागदेवीभारतीवर-दायिनी माँ शारदे॥

 

श्वेत पद्मासन विराजितवैष्णवी माँ- शारदे।

हे प्रजापति की सुताशतरूपिणी माँ शारदे।।

 

चंद्रिकासुर-वंदिताजग-वंदितावागेश्वरी।

कामरूपाचंद्रवदनामालिनी माँ शारदे॥

 

अम्बिकाशुभदासुभद्राचित्रमाल्यविभूषिता।

शुक्लवर्णाबुद्धिदासौदामिनी माँ शारदे॥

 

दिव्य-अंगापीतविमलारस-मयीभामाशिवा।

रक्त-मध्याविंध्यवासागोमती माँ शारदे॥

 

पद्म-निलयापद्म-नेत्रीरक्तबीजनिहंत्रिणी।

धूम्रलोचनमर्दनाअघ-नासिनी माँ- शारदे॥

 

हे महाभोगापरापथभ्रष्ट जग सन्तप्त है।

वृष्टि कीजै प्रेम कीअनुराग की माँ शारदे॥

 

नवीन सी चतुर्वेदी

5 अक्तूबर 2019

विष्णु की विराटता में शारदे कौ वास है - नवीन चतुर्वेदी


अग्नि-वर्ण धातु धार, हृदय प्रसन्न होंय,

स्वर्ण की विविधता में शारदे कौ वास है ।

 

सत्य, शान्ति, शील, धैर्य मातु शारदे की दैन,

प्रति एक शुचिता में शारदे कौ वास है ।

 

पाहन सों चक्र, चक्रवातन सों विश्व बन्यौ,

नित्य की नवीनता में शारदे कौ वास है ॥

 

कल्पना विहीन विश्व कैसें विसतार पातो,

विष्णु की विराटता में शारदे कौ वास है ।।

 

नवीन सी. चतुर्वेदी

 

सरस्वती वन्दना, घनाक्षरी छन्द