Farhat Ehsas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Farhat Ehsas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

चन्द अशआर - फ़रहत एहसास

मैं जब कभी उस से पूछता हूँ कि यार मरहम कहाँ है मेरा
तो वक़्त कहता है मुस्कुरा कर जनाब तैयार हो रहा है"

फ़रार हो गयी होती कभी की रूह मेरी
बस एक जिस्म का एहसान रोक लेता है

सुन ली मेरी ख़ामोशी शह्र शुक्रिया तेरा
अपने शोर में वरना कौन किस की सुनता है

कहानी ख़त्म हुई तब मुझे ख़याल आया
तेरे सिवा भी तो किरदार थे कहानी में

बस एक ये जिस्म दे के रुख़्सत किया था उस ने
और ये कहा था कि बाकी असबाब आ रहा है

जिस के पास आता हूँ उस को जाना होता है
बाकी मैं होता हूँ और ज़माना होता है
इश्क़ में पहला बोसा होता है आगाज़ेहयात
दूसरे बोसे के पहले मर जाना होता है

फूल सा फिर महक रहा हूँ मैं
फिर हथेली में वो कलाई है

उस का वादा है कि हम कल तुमसे मिलने आयेंगे
ज़िन्दगी में आज इतना है कि कल होता नहीं

मैं शह्र में किस शख़्स को जीने की दुआ दूँ
जीना भी तो सब के लिये अच्छा नहीं होता

मैं न चाहूँ तो न खिल पाये कहीं एक भी फूल
बाग़ तेरा है मगर बाद-ए-सबा मेरी है

बे-ख़बर हाल से हूँ, ख़ौफ़ है आइन्दा का
और आँखें हैं मेरी गुजरे हुये कल की तरफ़

उधर मरहम लगा कर आ रहा हूँ
इधर मरहम लगाने जा रहा हूँ

:- फ़रहत एहसास
9311017160