मुशायरों, नशिस्तों में पढ़ी जाने वाली हम्दों-नातों से प्रभावित होकर, ठीक मुशायरों-नशिस्तों के दरमियान अजान के वक्त वाणी को विराम देने की प्रथा से अभिभूत होकर रमेश कँवल जी के मन में आया कि हम सनातन धर्मावलम्बी भी ऐसा क्यों नहीं कर सकते और बस वहीं से इस अद्भुत ग्रन्थ ‘वंदन! शुभ अभिवन्दन’ का श्रीगणेश हो गया. जहाँ बहुत सारे लोग इन बातों को बातों तक ही सीमित रखते हैं वहीं रमेश जी ने उपदेश देने या वाग्विलाप करने के स्थान पर कार्य-निष्पादन का मार्ग चुना. रमेश जी को पुनः-पुनः साधुवाद.
इस पुस्तक में १. वाणी २. गणेश ३. हनुमान ४. शिव ५. राम ६. कृष्ण ७. बलराम ८. जगदम्बिके एवं ९. ईश्वर की वन्दनाओं में कुल ५२ कवियों / कवयत्रियों ने वन्दनाएँ प्रस्तुत की हैं . साथ ही ‘माँ’ शीर्षक के अन्तर्गत भी ११ कवियों / कवयत्रियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं . लगभग ३०० पृष्ठ वाली इस पुस्तक को रमेश जी ने वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी एवं गृह मंत्री अमित शाह जी को समर्पित किया है . पुस्तक के अन्त में रमेश जी ने सभी रचनाधर्मियों के नाम और उनके मोबाइल नम्बर भी दिये हैं . प्रसिद्ध काव्याचार्य श्री कृष्ण कुमार नाज़ सहित द्विजेन्द्र द्विज, डॉ. कुमार प्रजापति एवं डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’ जैसे ख्यातिनाम शारदात्मजों ने इस पुस्तक के महत्त्व पर प्रकाश डाला है.
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