![Manohar Abhay's profile photo](https://scontent.fbom1-2.fna.fbcdn.net/v/t1.0-1/12924420_1029100657182231_8565475455629197686_n.jpg?oh=529487fbbe18464007bb0bbd294b4e7f&oe=5821F9CD)
मनोहर अभय
किया भरोसा आपका होगी नित
ज्योनार
सुबह शाम की रोटियाँ हुईं और दुश्वार
सुबह शाम की रोटियाँ हुईं और दुश्वार
नखत सिमटने में लगे टूटी
तिमिरा घोर
जगा रहा है भोर को गंध पवन झकझोर
जगा रहा है भोर को गंध पवन झकझोर
मृग शावक ने दौड़ कर मारी एक
छलाँग
काजल भरी पहाड़ियाँ गया निमिष में लाँघ
काजल भरी पहाड़ियाँ गया निमिष में लाँघ
छत पर पड़ी दरार हैं हुए छेद
पर छेद
बिछा रहे तिरपाल हैं छेद कुरेद कुरेद
बिछा रहे तिरपाल हैं छेद कुरेद कुरेद
साग विदुर घर आपने खाया
प्रभो महान
मान बढ़ा यशगान भी मिले दान मतदान
मान बढ़ा यशगान भी मिले दान मतदान
आए बैठे दम लिया लेटे पलंग
बिछाय
हम समझे घर आपना निकला खुली सराय
हम समझे घर आपना निकला खुली सराय
मार रहे हैं मेमने छिली ईंट
की चोट
पीछे बैठे भेड़िए पहने ओवरकोट
पीछे बैठे भेड़िए पहने ओवरकोट
घना अँधेरा देख कर माँगा एक
चिराग
सजन हमारे दे गए भरे गाँव में आग.
सजन हमारे दे गए भरे गाँव में आग.
पंख उगे चूजे उड़े लाँघे
क्षितिज असीम
व्यथा नीड की क्या कहें बूढ़े पीपल नीम
व्यथा नीड की क्या कहें बूढ़े पीपल नीम
काजल आँजा धूप ने दुपहर केश
सँवार
साँझ साँवरी सी सजी भिगो गई बौछार
साँझ साँवरी सी सजी भिगो गई बौछार
मनोहर अभय
दोहे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें