9 अप्रैल 2023

अन्तर्मन से - सरल और मृदुल कविताओं का संकलन

आभा दवे मूलतः गुजराती भाषी हैं साथ ही हिंदी भाषा पर उनका अधिकार दर्शनीय है . विवेच्य कविता संग्रह में आप ने भाषा के सरल और सरस प्रारूप को चुना है . विषय भी बहुत बोझल न हो कर आम जन से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं . दरअसल कविता लिखते समय कुछ लोग विशिष्ट शैली के उपदेशक होने का प्रहसन करने से स्वयं को रोक नहीं पाते . इस दृष्टिकोण से आभा दवे ने स्वयं को साक्षीभाव के स्तर पर बनाए रखा है . यह इनका चौथा काव्य संग्रह है और इन्होंने भूमिका में स्पष्ट रूप से लिखा है कि इनकी कविताएँ स्वान्तः सुखाय हैं . पुस्तक का प्रकाशन इण्डिया नेट बुक्स द्वारा किया गया है और इसका मूल्य है २५०.०० रुपये . इस कविता संग्रह से कुछ उद्धरण 

 

जमुना किनारे राधा पुकारे 

ढूँढे फिरे वह साँझ सकारे 

छुप गये कान्हा तुम कहाँ

तुम तो बने थे मेरे सहारे 

 

*

 

चिलचिलाती धूप में वो बनाता है मकान आलीशान 

जिसका खुद के रहने के लिए भी नहीं होता मकान

पर उसके चेहरे पर रहता नहीं है कोई भी मलाल

रह जायेगा उसके ही काम का इस धरा पर निशान 

 

 

जब मुस्कुराती हैं ये लड़कियाँ

गजब ही ढाती हैं ये लड़कियाँ 

जमाना दुश्मन क्यों न बन जाये

हर जुल्म सह जाती हैं ये लड़कियाँ

 

ऐसी सीधी सादी सरल और मृदुल कविताओं को पढने के लिए आप आभा दवे जी की इस पुस्तकको पढ़ सकते हैं . 

 



आभा दवे जी का पता और फोन नंबर 

बी//१०३,साकेत काम्प्लेक्सथाने - पश्चिम - ४००६०१ (मुम्बई)

मोबाइल - ९८६९३९६७३१

 

 

7 अप्रैल 2023

रमेश कँवल - लीक से हटकर चलने वाले व्यक्ति

 ामान्यतः लेखक टाइप लोग रिटायरमेण्ट पर एकमुश्त रकम साइड में रखकर उस रकम से अपनी ढेर सारी किताबें छपवाते हैं, उन किताबों के विमोचन करवाते हैं और समीक्षाएँ लिखवाते तथा छपवाते हैं । मगर रमेश कँवल जी ने ऐसा न कर के कुछ नया करने की ठानी और कर के दिखला भी दिया ।

 

सबसे पहले 2020 की नुमाइन्दा ग़ज़लों का संकलन प्रकाशित किया . उसके बाद इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें साल की बेहतरीन ग़ज़लों का संकलन प्रस्तुत किया . तीसरे नम्बर पर एक रुकनी अनूठी ग़ज़लों का संकलन निकाला और अब स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में 75 चुनिन्दा रदीफ़ों पर ताबिन्दा ग़ज़लों के साथ दस्तक दी है

 





आज के दौर में जहाँ नये लोगों से मात्र दो या चार रचनाएँ छापने के लिए साझा संकलन के नाम पर लोग हज़ार पाँच सौ रुपये बेझिझक माँग लेते हैं वहीं रमेश कँवल जी ने अनेक शायरों / शायराओं को देश के कोने कोने तक बिना एक भी पैसा लिए पहुँचाने का पुण्यकर्म किया है ।

 

रमेश कँवल जी स्वयं भी एक सिद्धहस्त शारदात्मज हैं । विषय के जानकार हैं और उनकी ग़ज़लें तमाम पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं । इनकी कुछ ग़ज़लों को ग़ज़ल गायकों ने गाया भी है । रमेश जी अपने काव्यगुरु श्री हफ़ीज़ बनारसी जी की स्मृति में सालाना जलसे भी करवाते रहते हैं ।

 

रमेश जी के काम को एक पोस्ट में समेट पाना बहुत कठिन है  इनके प्रयासों के गाम्भीर्य को समझने के लिए इनके उपरोक्त संकलनों को पढ़ना चाहिए । जहाँ एक ओर रमेश जी ने शायरी की भरपूर ख़िदमत की है वहीं दूसरी ओर इन्होंने राष्ट्र गौरव के प्रतीकों, गाथाओं और उद्धरणों को अपने संकलनों में प्रमुखता से स्थान दिया है ।

 

रमेश जी का पता और मोबाइल नम्बर

 

रमेश कँवल

6, मंगलम विहार कॉलोनी, आरा गार्डन रोड,

जगदेव पथ, पटना – 800014

मोबाइल - 8789761287