कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खइयो मास
दो नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस
[इस दोहे के रचयिता के बारे में संदेह है]
दो नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस
[इस दोहे के रचयिता के बारे में संदेह है]
केशवदास:-
केशव केसन असि करी जस अरि हु न कराय
चन्द्र वदन मृग लोचनी बाबा कह कें जाय
चंदबरदाई:-
चार बास चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमान
ता ऊपर सुल्तान है मत चूकै चौहान
रसलीन:-
कुमति चंद प्रति द्यौस बढ़ि मास मास कढ़ि आय।
तुव मुख मधुराई लखे फीको परि घटि जाय
तुव मुख मधुराई लखे फीको परि घटि जाय