
अशोक अज्ञ
जानै कैसै जीभ रपट गयी कहा करैं।
रही सही सब इज्जत घट गयी कहा करैं।।
रही सही सब इज्जत घट गयी कहा करैं।।
खवा खवायकैं माल चटोरी कर दीनी।
माया देखी बात पलट गयी कहा करैं।।
माया देखी बात पलट गयी कहा करैं।।
कैसौ सुंदर सपनौ महलन कौ देखौ।
नैक देर में नींद उचट गयी कहा करैं।।
नैक देर में नींद उचट गयी कहा करैं।।
एक बंदरिया ऐसी रूठी विफर गयी।
धोती और लंगोटी फट गयी कहा करैं।।
धोती और लंगोटी फट गयी कहा करैं।।
कौन दया पै दया करैगौ बोलौ तुम।
अपनी तौ लाइन ही कट गयी कहा करैं।।
अपनी तौ लाइन ही कट गयी कहा करैं।।
बखत आजकौ बदल गयौ है पहिचानौ।
मीठे बोल बोलिकैं भैया बतरानौ।।
मीठे बोल बोलिकैं भैया बतरानौ।।
धीरैं धीरैं पूछौ कैसै फूट गयीं।
काने ते कबहू मत कहियौं तुम कानौ।।
काने ते कबहू मत कहियौं तुम कानौ।।
बेर बेर अंटा पै अंटा मत डारौ।
होयकठिन गाँठन कूँ फिर ते सुरझानौ।।
होयकठिन गाँठन कूँ फिर ते सुरझानौ।।
थोरौ भौत नसा दौलत कौ सबकूँ है।
रहै न नैकहु होस कि गहरी मत छानौ।।
रहै न नैकहु होस कि गहरी मत छानौ।।
देख गरीबन कूँ जिनके मन होय घिना।
नाक सिकोड़ें भौं मटकानौ इतरानौ।।
नाक सिकोड़ें भौं मटकानौ इतरानौ।।
पढ़े लिखे हू उलटी इमला बाँच रहे।
भौत कठिन होय "अ ते ज्ञ "तक समझानौ।।
भौत कठिन होय "अ ते ज्ञ "तक समझानौ।।
अशोक अज्ञ
9837287512
ब्रज गजल
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