हे
मरालासन्न वीणा-वादिनी माँ शारदे।
वागदेवी, भारती, वर-दायिनी माँ शारदे॥
श्वेत
पद्मासन विराजित, वैष्णवी माँ- शारदे।
हे
प्रजापति की सुता, शतरूपिणी माँ शारदे।।
चंद्रिका, सुर-वंदिता, जग-वंदिता, वागेश्वरी।
कामरूपा, चंद्रवदना, मालिनी माँ शारदे॥
अम्बिका, शुभदा, सुभद्रा, चित्रमाल्यविभूषिता।
शुक्लवर्णा, बुद्धिदा, सौदामिनी माँ शारदे॥
दिव्य-अंगा, पीत, विमला, रस-मयी, भामा, शिवा।
रक्त-मध्या, विंध्यवासा, गोमती माँ शारदे॥
पद्म-निलया, पद्म-नेत्री, रक्तबीजनिहंत्रिणी।
धूम्रलोचनमर्दना, अघ-नासिनी
माँ- शारदे॥
हे
महाभोगा, परा, पथभ्रष्ट जग सन्तप्त है।
वृष्टि
कीजै प्रेम की, अनुराग की माँ शारदे॥
नवीन सी चतुर्वेदी