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पवन कुमार
नहीं इक, दसन बार पैदा भयौ है।
खुदइ में खरीदार पैदा भयौ है॥
नयौ जो यै किरदार पैदा भयौ है।
गजब कौ अदाकार पैदा भयौ है॥
यै जो बेच मारै सो थोरौ समझियो।
घरन में जो बाजार पैदा भयौ है॥
हमारी तरफ ध्यान तक है न या कौ।
यै कैसौ तरफदार पैदा भयौ है॥
हिजाबन सों निकसौ तौ बानक बनैं कछ।
तकल्लुफ सों कब प्यार पैदा भयौ है॥
खुदइ में खरीदार पैदा भयौ है॥
नयौ जो यै किरदार पैदा भयौ है।
गजब कौ अदाकार पैदा भयौ है॥
यै जो बेच मारै सो थोरौ समझियो।
घरन में जो बाजार पैदा भयौ है॥
हमारी तरफ ध्यान तक है न या कौ।
यै कैसौ तरफदार पैदा भयौ है॥
हिजाबन सों निकसौ तौ बानक बनैं कछ।
तकल्लुफ सों कब प्यार पैदा भयौ है॥
पवन कुमार
9412290079
ब्रज गजल
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