सन्तोष कुमार सिंह
ले
चल प्रियतम अब हमको भी, दूर कहीं अति दूर.
नदी आज बनकर आयी है, क्रूर बहुत ही क्रूर
नदी आज बनकर आयी है, क्रूर बहुत ही क्रूर
धीरे-थीरे
अँधियारे में, यह घर में घुस आई.
डूबा राशन, बर्तन, खटिया, डूबीं सभी रजाई.
प्राण बचाने कब तक छतपर, बैठेंगे मजबूर......
ले चल............
डूबा राशन, बर्तन, खटिया, डूबीं सभी रजाई.
प्राण बचाने कब तक छतपर, बैठेंगे मजबूर......
ले चल............
मील
पचासों दीख रहा है, प्रियतम जल ही जल है.
यह तो बाढ़ नहीं लगती है, लगती क्रूर प्रलय है.
चुन्नू-मुन्नू भूखे इस छत, उस छत अल्लानूर.
ले चल प्रियतम.............
यह तो बाढ़ नहीं लगती है, लगती क्रूर प्रलय है.
चुन्नू-मुन्नू भूखे इस छत, उस छत अल्लानूर.
ले चल प्रियतम.............
बाहर
पानी, भीतर पानी, ऊपर बादल बरसे.
भैंस खड़ी पानी में भूखी, चारे को है तरसे.
इस पानी से हार गये हैं, बड़े-बड़े भी सूर.
ले चल प्रियतम.............
भैंस खड़ी पानी में भूखी, चारे को है तरसे.
इस पानी से हार गये हैं, बड़े-बड़े भी सूर.
ले चल प्रियतम.............
इस
घर में ही मैंने छेड़े. हिय में हुलस तराने.
जीवन भर ही हमने- तुमने, गाये मंगल गाने.
जान बची तो लाखों पायें, छोड़ो इसे हुजूर.
ले चल प्रियतम.............
जीवन भर ही हमने- तुमने, गाये मंगल गाने.
जान बची तो लाखों पायें, छोड़ो इसे हुजूर.
ले चल प्रियतम.............
डूब
गई सब फसल हमारी, अब कैसे उबरेंगे.
जान बची तो किसी शहर में, मजदूरी कर लेंगे.
सुधि लेने सरकार हमारी, कब होगी मजबूर.
ले चल प्रियतम..............
जान बची तो किसी शहर में, मजदूरी कर लेंगे.
सुधि लेने सरकार हमारी, कब होगी मजबूर.
ले चल प्रियतम..............
सन्तोष कुमार सिंह
9456882131
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