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मनोज चतुर्वेदी
दुरबल कों न सताऔ भैया।
मानुस बनौ, पसीजौ भैया॥
मानुस बनौ, पसीजौ भैया॥
हम जैसे लोग'न कौ जीवन।
जैसौ है, नीकौ है भैया॥
जैसौ है, नीकौ है भैया॥
अपने'न के होमें कि
बिराने।
सब के अँसुआ पौंछौ भैया॥
सब के अँसुआ पौंछौ भैया॥
गलती हू तौ सिखलामें हैं।
बढते पाँय न रोकौ भैया॥
बढते पाँय न रोकौ भैया॥
कहाँ हुते और कहाँ आय गए।
कब'उ तौ मन में सोचौ भैया॥
कब'उ तौ मन में सोचौ भैया॥
अपने हौ तौ घर में डाँटौ।
चौरे में मत टोकौ भैया॥
चौरे में मत टोकौ भैया॥
अपनौ हिरदौ हार कब'उ तौ।
मन 'मनोज' कौ जीतौ भैया॥
मन 'मनोज' कौ जीतौ भैया॥
मनोज चतुर्वेदी
9004691486
ब्रज गजल
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