अपने
सीने से लगा लेंगे मुझे।
मेरे बच्चे ही सँभालेंगे मुझे।।
मेरे बच्चे ही सँभालेंगे मुझे।।
खर्च ले वक़्त मुझे कितना भी।
चन्द लमहात बचा लेंगे मुझे।।
चन्द लमहात बचा लेंगे मुझे।।
बख़्त के पास कहाँ है फुरसत।
ज़ात के हाथ खँगालेंगे मुझे।।
ज़ात के हाथ खँगालेंगे मुझे।।
टूट कर गिर भी गये गर अफ़लाक।
भर के बाँहों में उठा लेंगे मुझे।।
भर के बाँहों में उठा लेंगे मुझे।।
आप का घर भी तो मेरा घर है।
आप किस घर से निकालेंगे मुझे।।
आप किस घर से निकालेंगे मुझे।।
हाँ! ‘बदी’ ने ही दिया ‘दीन’ को ‘दी’।
कुछ अँधेरे भी उजालेंगे मुझे।।
कुछ अँधेरे भी उजालेंगे मुझे।।
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे
रमल मुसद्दस मखबून मुसक्कन
फ़ाएलातुन
फ़एलातुन फ़ालुन
2122 1122 22
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