
सुनील कुमार जश्न
लुत्फ़ आता है ख़ूब उल्फत में
बात ये झूठ है हकीक़त में ।।।
बात ये झूठ है हकीक़त में ।।।
मौत आती है जिंदा लोगों को
कैसे मरता तुम्हारी फ़ुर्क़त में
कैसे मरता तुम्हारी फ़ुर्क़त में
खुबसूरत से इक गुनाह के बाद
दिल लगा ही नहीं इबादत में
दिल लगा ही नहीं इबादत में
सबको संजीदा कर दिया मैंने
हाय क्या हो गया शरारत में
हाय क्या हो गया शरारत में
खून थूका न ही ज़बां लटकी
और इज़ाफा करो इनायत में
और इज़ाफा करो इनायत में
डर जुदाई का इस क़दर था "जश्न"
हम मिले ही नहीं मुहब्बत में
हम मिले ही नहीं मुहब्बत में
सुनील कुमार जश्न
084269 07793
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
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