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भोजपुरी गजल - मन में नेह के तार बहुत बा - देवेंद्र गौतम


मन में नेह के तार बहुत बा
ई नदिया में धार बहुत बा

तनिको चूक के मौका नइखे
गर्दन पर तलवार बहुत बा

सौ एके छप्पन के आगे
पर्चो भर अख़बार बहुत बा

के अब केकर दुःख बाँटेला
आपस के व्यवहार बहुत बा

मिल जाए त कम मत बुझिह
चुटकी भर संसार बहुत बा

काहें गाँव से भागत बा’ड़

गाँव में कारोबार बहुत बा

:- देवेन्द्र गौतम
08527149133

तेरी मर्ज़ी है मेरे दोस्त! बदल ले रस्ता

http://gazalganga.blogspot.com

गर यही हद है तो अब हद से गुजर जाने दे।
ए जमीं! मुझको खलाओं में बिखर जाने दे।

रुख हवाओं का बदलना है हमीं को लेकिन
पहले आते हुए तूफाँ को गुज़र जाने दे ।

तेरी मर्ज़ी है मेरे दोस्त! बदल ले रस्ता
तुझको चलना था मेरे साथ, मगर जाने दे।

ये गलत है कि सही, बाद में सोचेंगे कभी
पहले चढ़ते हुए दरिया को उतर जाने दे।

हम जमीं वाले युहीं ख़ाक में मिल जाते हैं
आसमां तक कभी अपनी भी नज़र जाने दे।

दिन के ढलते ही खयालों में चला आता है
शाम ढलते ही जो कहता था कि घर जाने दे।
-देवेन्द्र गौतम