मन
मुताबिक़ इस तरह कुछ भी नहीं कहते ‘नवीन’।
पोर भर की डोर को रस्सी नहीं कहते ‘नवीन’॥
पोर भर की डोर को रस्सी नहीं कहते ‘नवीन’॥
हास और परिहास बढ कर बन रहा है अट्टहास ।
इस विनाशक तत्व को मस्ती नहीं कहते ‘नवीन’॥
इस विनाशक तत्व को मस्ती नहीं कहते ‘नवीन’॥
इस लिये ही तो हमारी बेटियाँ खतरे में हैं।
छेड़ने वालों को हम कुछ भी नहीं कहते ‘नवीन’॥
छेड़ने वालों को हम कुछ भी नहीं कहते ‘नवीन’॥
किस तरह कोई करेगा इस ज़माने का इलाज।
लोग बीमारी को बीमारी नहीं कहते ‘नवीन’॥
लोग बीमारी को बीमारी नहीं कहते ‘नवीन’॥
हम वली* हैं हम कलन्दर कोई हम जैसा नहीं ।
और सब कहते हैं बस तुम ही नहीं कहते ‘नवीन’॥
* महान सन्त
और सब कहते हैं बस तुम ही नहीं कहते ‘नवीन’॥
* महान सन्त
अब तखल्लुस* में तुम अपना नाम जड़ना छोड़ दो।
दूसरे की शर्ट को अपनी नहीं कहते ‘नवीन’॥
* शायर का उपनाम / छप्प
दूसरे की शर्ट को अपनी नहीं कहते ‘नवीन’॥
* शायर का उपनाम / छप्प
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे
रमल मुसम्मन महज़ूफ़
फ़ाइलातुन
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212
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