अब जरूर हम मथुरा को
ठीकठाक सा एक टाउन कह सकते हैं मगर 1990 के आसपास मथुरा इतना डिवैलप नहीं हुआ था ।
हालाँकि रिफायनरी आ चुकी थी, टाउनशिप बस चुकी थी, कॉलोनियों की बात हवाओं में तैरने लगी थी फिर भी 1990 का मथुरा 1980 के
मथुरा से बहुत अधिक उन्नत नहीं लगता था ।
उस मथुरा की एक गली में
जन्मी हुई लड़की की शादी महानगर में होती है । मथुरा के संस्कारों को मस्तिष्क में
और महानगर वाले पतिदेव के अहसासात को दिल में सँजोये हुए वह गुड़िया बाबुल का घर
छोड़ कर पी के नगर के लिए निकल पड़ती है । जिस तरह कहते हैं न कि दुनिया गोल है उसी
तरह गृहस्थी की दुनिया भी सभी जगह और सभी के लिए गोल-मोल ही होती है । उस गोल-मोल
दुनिया में यह लड़की डटकर परफोर्म करती है, दूरदर्शन,
सी एन एन, सी एन बी सी, डी
डी भारती और आई बी एन से मीडिया अनुभव ग्रहण करते हुए कालान्तर में एक सफल लेखिका
बन कर राष्ट्रीय पटल पर छा जाती है । इस लड़की का घर का नाम गुड़िया ही है और अब
भारतीय साहित्य-जगत इसे अर्चना चतुर्वेदी के नाम से जानता है । उत्कृष्ट कोटि की
व्यंग्य लेखिका अर्चना जी का साहित्यिक प्रवास उत्तरोत्तर ऊर्ध्व-गामी रहा है ।
ब्रजभाषा और हिन्दी दौनों ही क्षेत्रों में आप की रचनाओं को पाठकों का अपरिमित
स्नेह प्राप्त हुआ है । आप की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपको अनेक
पुरस्कार मिल चुके हैं ।
पिछले दिनों आप की दो
पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं । पहली पुस्तक “लव की हॅप्पी एंडिंग” जो कि हास्य कहानी
संग्रह है और दूसरी पुस्तक “कुछ दिल की कुछ दुनिया की” किस्सा गोई पर आधारित है ।
अर्चना चतुर्वेदी प्रसन्नमना लेखिका हैं, दिल से लिखती
हैं, मज़े ले-ले कर लिखती हैं, इसीलिए
इन्हें पढ़ने वाले इन्हें बार-बार पढ़ना चाहते हैं ।
इन पुस्तकों को भावना
प्रकाशन से मँगवाया जा सकता है ।
भावना प्रकाशन – फोन
नम्बर – 8800139685, 9312869947