6 अगस्त 2016

तमाम ज़ह्न हैं उन के जमाल से रौशन - नवीन

तमाम ज़ह्न हैं उन के जमाल से रौशन
धुनें जो फ़िल्म जगत को सुना गये रौशन
किसी धुनों के पुजारी से पूछिये साहब
ऋतिक बता न सकेंगे कि कौन थे रौशन
मुझे भी याद नहीं सब की सब धुनें उनकी
बस इतना याद है गीतों की शान थे रौशन
कई अदीबों को मौक़े दिये, निखारा भी
तभी तो कहते हैं दिल के भी थे बड़े रौशन
लता जी और मोहम्मद रफ़ी के जीवन के
सुनहरे-पन्नों की तहरीर ख़ुद रहे रौशन
बहुत अज़ीज़ रही यूँ तो उनको सारङ्गी
प बाँसुरी के सुरों से भी थे बँधे रौशन
भले ही कितना भी कहिये वो कम लगे है “नवीन”
कुछ ऐसे शख़्स थे हम सब के लाड़ले रौशन
नवीन सी चतुर्वेदी


बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22  


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