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महिला दिवस - शैलजा नरहरि की दो कवितायें

दोस्तो आज महिला दिवस के मौक़े पर शैलजा नरहरि जी की दो कवितायें पढ़ते हैं।मेरे नज़दीक इन कविताओं की विशेषता यह है कि निहायत धीमे स्वर में बिना चीख-चिल्लाहट के बड़े ही मार्मिक ढ़ंग से सब कुछ कह दिया गया है। 

आर डी नेशनल कॉलेज से बतौर प्राध्यापक सेवा निवृत्ति लेने वाली आदरणीया शैलजा नरहरि जी ने सन 1972  में मंच छोड़ कर गृहस्थ जीवन आरंभ करने से पूर्व गोपाल प्रसाद नीरज, भारत भूषण, रमानाथ अवस्थी, सुमित्रानंदन पंत, दिनकर, महादेवी वर्मा, भवानी प्रसाद मिश्र आदि कवियों के साथ मंच पर काव्य-पाठ किया है। उन की ग़ज़लें आप पहले भी इस ब्लॉग पर पढ़ चुके हैं।

लड़की

बहुत ज़ोर से हँसती हो तुम
ऐसे नहीं हँसते
मुसकुराना तो और भी ख़तरनाक है

चलते वक़्त भी ध्यान रखा करो
क़दमों की आवाज़ क्यों आती है

सुबह जल्दी उठा करो