दुर्गा की पूजा
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये
:- कैलाश शर्मा