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पाँच हाइकु - कैलाश शर्मा

दुर्गा की पूजा
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.

रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?

न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं

विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.

नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये
 
:- कैलाश शर्मा