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पहली समस्या पूर्ति - चौपाई - श्री कंचन बनारसी जी [1]

मित्रो इस साहित्यिक प्रयास के पहले प्रतिभागी बनने का गौरव प्राप्त हुआ है भाई उमा शंकर चतुर्वेदी उर्फ कंचन बनारसी जी को| आप स्वयँ देखिएगा कितनी सहज-सरस-सुंदर-सुमधुर चौपाइयाँ प्रस्तुत की हैं आपने| भारतीय छंद शास्त्र विधा के क्षेत्र में एक नया प्रयास रूप आरम्भ हुए इस प्रायोजन में अपनी सहभागिता दर्ज करा कर आपने सहज वन्दनीय कार्य किया है| आपको बहुत बहुत आभार| आशा है अन्य साहित्य रसिक भी इस दिशा में अपना अमूल्य योगदान अवश्य प्रदान करेंगे|

खुद अपनेंपन से भगते हो ।
पता नहीं किसको ठगते हो ॥
रात - रात भर जब जगते हो ।
अंतर मन से तब भजते हो ॥
प्रीत पाग में पगते हो तुम ।
कितने अच्छे लगते हो तुम ॥
प्रस्तुतिकर्त्ता: श्री उमा शंकर चतुर्वेदी उर्फ कंचन बनारसी
आपका ब्लॉग:- http://kanchanbanarshi.blogspot.com/