साहित्यम्
हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास
Razdan 'Raaz'
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Razdan 'Raaz'
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खिल उठा है बहार का मौसम - राज़दान 'राज़'
राज़दान 'राज़'
आँखों में कोई तो नदी होगी
बर्फ़ दिल में पिघल रही होगी
ऊँचे पेड़ों पे आशियाना था
पहले बिजली वहीं गिरी होगी
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