नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल।
अली कली में ही बिंध्यो आगे कौन हवाल।।
चिरजीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गँभीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर॥
कोटि जतन कोऊ करै, परै न प्रकृतिहिं बीच।
नल बल जल ऊँचो चढ़ै, तऊ नीच को नीच।।
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बोनसाई / Bonsai Tree |
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खिलता हुआ गुलाब / Opening Lotus Flower |
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माखन चोर कृष्ण / Makhan Chor Krishn |
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कृष्ण विराट स्वरूप / Krishn Virat Swarup |
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चित चोर कृष्ण / Chit Chor Krishn |