दो पाटन के बीच...
वो औरतें जो जबरदस्ती
घर में घुस आयीं घुसपैठियों
की तरह
" मैं तुलसी तेरे आंगन
की तर्ज पर "
उन औरतों को सबसे मिली
उपेक्षा
उनका दावा था इस उपेक्षा की चादर को
दो पाटन के बीच...
वो औरतें जो जबरदस्ती
घर में घुस आयीं घुसपैठियों
की तरह
" मैं तुलसी तेरे आंगन
की तर्ज पर "
उन औरतों को सबसे मिली
उपेक्षा
उनका दावा था इस उपेक्षा की चादर को
बिछड़े सभी बारी-बारी...
1 ) बारी -बारी बिछड़ने
का एक फायदा हुआ
कच्चे मकान सा दिल बैठा नहीं
पहाड़ सा मजबूत हो गया...
मैं दुखी हूँ...
मैं बहुत दुखी हूँ...
पर उतनी नहीं ,
जितनी वो माँ है
जिसकी बेटी के अधमरे शरीर को
गुंडे घर में फेंक गये चार दिन बाद,
"बुढ़ऊ कमरा छेके बैइठे हैं "
बेटे -बहुरिया के ये
संस्कारी
आत्म -सम्वाद दिन में पचास
बार
सुनने और पोते -पोतियों को
"मेरा कमरा " के
नाम पर
लड़ने-झगड़ने के बाल सुलभ
आशावादी, स्वप्निल वार्तालाप को
सुन दद्दा की ऐंठी गर्दन
तकिये पर थोड़ी और सख़्त
हो जाती है ...
भाग्यशाली हूँ, ईर्ष्या, कुण्ठा, प्रतिस्पर्धा का कारण हूँ
वैसे तो रीढ़ की हड्डी ही उसके संसार की हूँ ,पर
ब्रांडेड, चमकदार कपड़ों से ढँकी -छुपी रहती हूँ
एक बड़े आदमी की पत्नी हूँ मैं…