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स्वाधीनता दिवस गीत - तब आयी ये पन्द्रह अगस्त

 
जो सदियों से था क्षोभ ग्रस्त । 
अत्याचारों से दुखी, त्रस्त । 
वह आम आदमी हुआ व्यस्त । 
तब आयी यह पन्द्रह अगस्त ।। 

जब जुड़े जलद सम वरदहस्त । 
तारे अनिष्ट के हुये अस्त । 
चल पड़े साथ मिल सर परस्त । 
तब आयी यह पन्द्रह अगस्त ।। 

मतभेदों को कर के निरस्त । 
घातक मनसूबे किये ध्वस्त । 
जब हुआ क्रान्ति का पथ प्रशस्त । 
तब आयी यह पन्द्रह अगस्त ।। 

 सब चेहरे दिखने लगे मस्त । 
 परचम लहराने लगे हस्त । 
 जब जुड़े वीर बाँके समस्त । 
 तब आयी यह पन्द्रह अगस्त ।। 

घर घर से होने लगी गश्त । 
चुन चुन मारे फिरका परस्त । 
जब अंग्रेजों को दी शिकस्त । 
तब आयी यह पन्द्रह अगस्त ।। 

है प्रगतिशील हर एक दस्त । 
 है हिन्द विश्व से फिर वबस्त । 
 हैं नीति हमारी सुविश्वस्त । 
 बस याद रहे पन्द्रह अगस्त ।। 

 बस याद रहे पन्द्रह अगस्त ।। 
 बस याद रहे पन्द्रह अगस्त ।। 

नवीन सी. चतुर्वेदी