सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
और
आप सभी के सक्रिय सहयोग से आज हम पदार्पण कर रहे हैं कुण्डलिया छंद पर केन्द्रित तीसरी समस्या पूर्ति के पहले चरण में| अग्रजों की राय का सुपरिणाम ये हुआ कि आशा के अनुरूप कई रचनाधर्मियों ने इस छंद के प्रति अपना रुझान व्यक्त किया है| कई सारी रचनाएँ प्राप्त हुई हैं, और कई सारी रचनाएँ मार्ग में हैं|
आइये श्री गणेश करते हैं भाई महेंद्र वर्मा जी के कुण्डलिया छंदों के साथ:-
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhpGyegL4eElSPF8Ahbj_4an6l55rh_OQ9s7OmSnZNX6kqtRaXiHZuTHHBJX57VSYz7HdV-jh6KZMKSnA676c7eoA_f6C9C7TkexK_szjXrBkuaFWBSfIUWWZs3T0VFkjjt2HzV89YxMrw/s320/mahendra+varma.png)
कम्प्यूटर इस दौर की, सबसे अद्भुत खोज ।
करता सबका काम यह, गंगू हो या भोज ।।
गंगू हो या भोज, सभी हैं निर्भर इस पर ।
यत्र तत्र है वास, मकां हो या हो दफ्तर ।
कभी शिष्य बन जाय, कभी बन जाता ट्यूटर ।
सुख दुख का है साथ, बिरादर है कम्प्यूटर ।।
भारत माता की सुनो, महिमा अपरम्पार ।
इसके आंचल से बहे, गंग जमुन की धार ।।
गंग जमुन की धार, अचल नगराज हिमाला ।
मंदिर मस्जिद संग, खड़े गुरुद्वार शिवाला ।।
विश्वविजेता जान, सकल जन जन की ताकत ।
अभिनंदन कर आज, ध न्य है अनुपम भारत ।।
और इस के बाद पढ़ते हैं तिलक राज कपूर जी की कुण्डलिया
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सुन्दरियॉं करने लगीं, कम्प्यूटर से वार|
अधरों से छुरियॉं चलें, नैनन चले कटार||
नैनन चले कटार, बहुत है विपदा भारी|
भारत को ना भाय, लगी ऐसी बीमारी|
कह 'राही' कविराय, नारियॉं बनीं मछरियॉं|
कम वस्त्रों में छाय, रहीं बन कर सुंदरियाँ||
और इस खेप के तीसरे और आखिरी कवि समीर लाल जी
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भारत मेरा देश है, इस पर मुझको नाज़|
चुनी हुई सरकार में, भ्रष्टन का है राज||
भ्रष्टन का है राज सभी मिल कर के लूटें|
पकड़ जाँय औ तुर्त, सभी बाइज़्ज़त छूटें|
कहत कवी शरमाय, झूठ में इन्हें महारत|
हालत ऐसी मगर, देश ऊँचा है भारत||
कंप्यूटर के सामने, बैठो पाँव पसार|
खबरें पढ़िए, पत्नि से - आँख छुपा कर यार|
आँख छुपा कर यार, मांग टी, आहें भरिये|
ताकि कहे वो बस्स, और अब काम न करिए|
कह 'समीर' कविराय, सफल भइये ये मंतर|
पूँजो उस के पाँव, दिया जिसने कंप्यूटर||
कवियों की फोटो यथावत कॉपी पेस्ट किए हैं| ज्यादा जानकारी न होने की वजह से आकार वगैरह में कुछ खास नहीं कर पाया हूँ| शीघ्र मिलेंगे दूसरी खेप की कुंडलियों के साथ| तब तक आप इन छंदों का आनंद लें और इन पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी रुपिन पुष्पों की वर्षा करें|
महेंद्र जी को और तिलकराज जी को बेहतरीन कुंडलियों की बधाई.
जवाब देंहटाएंसमीर जी की कुंडलियों को बहुत परिमार्जन की ज़रुरत है.
इनकी दूसरी कुण्डली का निम्न दोहा ही देख लीजिये ,तुक ही नहीं बैठ रहा है.
कंप्युटर के सामने, बैठो पाँव पसार|
समाचार सब बांचियें, पत्नि न पाये भाँप||
आपतो कुंडलियों के धुरंधर हैं,देख लीजिये.
सबसे पहले मैं खेद व्यक्त करता हूँ इस गंभीर भूल के लिए और मुझे खुशी है कि कुँवर जी ने 'ग़लती' को पकड़ा| समीर भाई से संपर्क होने तक उन की उक्त कुंडली को हटा दिया है| आशा करता हूँ कि हमारे अग्रज इसी तरह हमारी भूलों को दुरुस्त करवाने के साथ साथ छन्द साहित्य की सेवा में जुड़ी इस पीढ़ी का उत्साह वर्धन भी करते रहेंगे|
जवाब देंहटाएंकुंडलियों की पहली खेप शानदार है। महेंद्र जी, तिलक जी और समीर जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंपहली ही कुंडलिया छापने योग्य पा ली गयी, आभार।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र वर्मा जी को पहली बार पढ़ा, धँआधार कुडलिया लिखते हैं। आनन्द आ गया।
समीर भाई; आपकी तो खैरियत नहीं, अगली बार भारत आओगे तो एयरपोर्ट से ही लौटा दिये जाओगे अगर ऐसे ही पोल खोलते रहे।
मेरी कुंडलियों को स्थान देने के लिए आभार, नवीन जी ।
जवाब देंहटाएं@ कुंवर कुशमेश जी
जवाब देंहटाएंजल्दबाजी में जो कुंडली लग गई, उस में निश्चित ही तुक नहीं बैठ रहा और आपने इस ओर इंगित किया, बहुत आभार.
कुछ और प्रयास करके पुनः प्रेषित करता हूँ.
आपके मार्गदर्शन की सदैव आवश्यक्ता होगी और उसका हृदय से स्वागत है.
इस तरह कुछ बेहतर करने का मार्ग प्रशस्त होता है, बहुत आभार और साधुवाद आपका.
महेन्द्र जी और तिलक जी की कुंडलियाँ पढ़कर आनन्द आ गया.
जवाब देंहटाएंइन दिग्गजों के बीच खुद को छपा देख गौरवांवित हूँ. नवीन भाई का आभर.
पहली खेप की सभी कुंडलियाँ बहुत ही सुन्दर है ! मैं दिल से बधाई देता हूँ श्री महेंद्र वर्मा जी, श्री तिलक राज कपूर जी एवं श्री समीर लाल "समीर" जी को ! भाई नवीन भाई को भी उनके इस वन्दनीय प्रयास के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंभाई नवीन जी आप विलुप्त होती विधा को जीवित रखना चाहते हैं आपका यह प्रयास सराहना के योग्य है बधाई भाई समीर जी महेंद्र जी कपूर जी आप सबको भी बधाई |
जवाब देंहटाएंआप सभी साहित्य रसिकों का बहुत बहुत आभार| आप सभी के स्नेह सिक्त सहयोग के बिना इस आयोजन का यहाँ तक पाहुचना संभव नहीं था|
जवाब देंहटाएंसमीर भाई की दूसरी कुंडली लगा दी गई है| आप लोग पढ़ के उस का भी आनंद लीजिएगा|
बड़ी ही खुशी की बात है कि इस कुंडली छन्द पर कई सारे कवियों की रचनाएँ प्राप्त हो रही हैं|
वाह। कम्प्यूटर की महिमा को बखान करती सुंदर रचनाएं।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं आप सबको।
यह तो शानदार काव्य यज्ञ है।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र जी तिलक जी और समीरजी की कुंडलियां पढना अवि्स्मर्णिय अनुभव रहा।
नवीन जी इस समस्या पूर्ति आयोजन के लिये आभार
MAHENDRA VERMA ,TILAK RAJ KAPOOR AUR SAMEER
जवाब देंहटाएंLAL SAMEER KEE PYARE - PYARE BHAVON MEIN
RACHEE - BASEE KUNDLIYON KO PADH KAR AANANDIT
HO GAYAA HOON MAIN . NAVIN JI SRAHNIY KAAM
KAR RAHE HAIN .