ग़ज़ल - तेरे होते हुए तेरी कमी में - पूजा भाटिया

 


तेरे होते हुए तेरी कमी में 

कहूँ क्या लुत्फ़ क्या था तिश्नगी में 

 

करेंगे याद साअत हिज्र की हम

बजेगा एक अब जब भी घड़ी में

 

मेरी खिड़की के पौधे मर रहे हैं

वो आता ही नहीं अब इस गली में

 

हिदायत फिर कभी देना, अभी तुम

गले लग जाओ आता है ये जी में

 

तेरी दुनिया में यूँ तो सब मिला है 

मगर जो लुत्फ़ था आवारगी में

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