नज़्म - ख़त लिखा चाहत के साथ - गुलशन मदान

 

ख़त लिखा चाहत के साथ 

लेकिन कुछ शिद्दत के साथ

 

मां की हालत भी पतली है

बापू की हालत के साथ

 

देवर धुत्त पड़ा रहता है

जायेगा इस लत के साथ

 

डिग्री तो लाया है बड़का

नौकरियां रिश्वत के साथ

 

छुटका अब रहता है हरदम

आवारा दलपत के साथ

 

लाखों ऐब चले आते हैं

एक बुरी आदत के साथ

 

मुनिया फर्स्ट रही बस्ती में

अट्ठासी प्रतिशत के साथ

 

सोचूं इसकी शादी कर दूं

लड़का देख बखत के साथ

 

गली गली में खड़े लफंगे

देखें बदनीयत के साथ

 

आज इलेक्शन जीत गया फिर

दुर्जन सिंह बहुमत के साथ

 

गंगाराम ने ब्याह दी बेटी

बूढ़े बदसूरत के साथ

 

रधिया कल कुएं में कूदी

लुटी हुई इज़्ज़त के साथ

 

घर की हालत भी मत पूछो

ज़िंदा हूं ज़िल्लत के साथ

 

चंद दरारें दीवारों में

मुंह खोले हैं छत के साथ

 

घर की नीलामी का नोटिस

आया है मुहलत के साथ

 

हाल पूछने कौन आएगा

सब रिश्ते दौलत के साथ

 

अब के फ़सल बहा गई बारिश

कौन लड़े कुदरत के साथ

 

बिजली दूध किराने का बिल

भेज रही हूँ ख़त के साथ

 

मैं तो मंदिर में लड़ आई

पत्थर की मूरत के साथ

 

मर्द गया परदेस न जाने

क्या बीती औरत के साथ

 

अब तो वापिस आ भी जाओ

रोटी है किस्मत के साथ

1 टिप्पणी:

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