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मेरा श्याम है मस्ताना - नवीन


माखन चोर कृष्ण / Makhan Chor Krishn
जमुना के तट नटखट मो सों अटकत
झटकत मटकत गैल अटकावै है

मैं जो कहों गुप-चुप माखन तू खाय लै तौ
माखन न खावै ग्वाल - बालन बुलावै है

ग्वाल-बाल सङ्ग लावै गगरी छुड़ावै फिर
खाय औ खवाय, ब्रज - रज में मिलावै है

तीन लोक स्वामी जा के ताईं वा के ताईं होय
मेरे ताईं चोर - मेरौ माखन चुरावै है


कृष्ण विराट स्वरूप / Krishn Virat Swarup

लल्ला बन जाय और हल्ला हू मचावै फिर
खेलत-खेलत चौका बीच घुस आवै है

डाँट औ डपट मो सों घर के करावै काम
ननदी बनै तौ कबू सास बन जावै है

बन कें देवर मोहि दिखावै तेवर कबू
बन कें ससुर मो पै रौब हू जमावै है

ग्वाला बन गैया दुहै, गैया बन दूध देय
दूध बन मेरे घट भीतर समावै है 


चित चोर कृष्ण / Chit Chor Krishn

कोई चोर आता है तो कपड़े चुराये और
कोई-कोई चोर अन्न-धन को चुराता है

ज़र को चुराये, कोई ज़मीन चुराये, कोई
हक़ को चुरा के बड़ा कष्ट पहुँचाता है

दुनिया ने देखे कई तरह के चोर, किन्तु
चोर ये अनोखा मेरे दिल को लुभाता है

माखन चुराने के बहाने आये श्याम और
मन को चुरा के मालामाल कर जाता है



माना कि ज़माना तेरे रूप का दीवाना, पर
मैं ने तो ये जाना – श्याम – चोरी तेरा काम है

निठुर, निगोड़े, कपटी, छली, लबार, ढीठ
दिलों को दुखाना तेरा काम सुबोशाम है

जाने कैसे नाथा होगा ज़हरीला नाग - तू ने -
कपड़े चुराये – तेरा चर्चा ये आम है

यशोदा का प्यारा होगा, नन्द का दुलारा होगा
राधा से तू हारा – रणछोड़ तेरा नाम है 



ये छन्द इस मुखड़े और अन्तरे के साथ गाये जाते हैं

मुखड़ा:
क्या रूप सलौना है जग जिस का है दीवाना
कहीं नज़र न लग जाये मेरा श्याम है मस्ताना

अन्तरा:
है चोर बड़ा छलिया - कपटी है काला है
झूठा भी है लेकिन - सच्चा दिलवाला है 

[यहाँ बीच में छन्द गाये जाते हैं]

कोई चोर अगर ऐसा - देखा हो तो बतलाना
कहीं नज़र न लग जाये मेरा श्याम है मस्ताना

सभी साहित्य रसिकों को कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाइयाँ


: नवीन सी. चतुर्वेदी