लिखूँ मनमीत कूँ पाती
करूँ का, लाज
हू आती
करेजा चीरि
लिख देती
पते बिनु, कौन घर जाती
लुभावत है , न पावत
है
जि वा की गूढ़तम थाती
चकोरी चाँद
कूँ तरसै,
पपीहा, चाहतौ
स्वाती
लगायौ नेह
निष्ठुर ते
सजल लोचन, जरै
छाती
बसी छबि हीय में उनकी
जगैं मम नैन, दिन-राती
सजायौ प्रेम
कौ मंदिर
जरै बिनु तेल कब बाती
धरै "पूनम", चरन मस्तक
मुखर ह्वै , गीत गुंजाती
poonamsharmapurnima1625@gmail.co
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल शुभकामनाएं बड़े भैया 🙏🏻
हार्दिक आभार 🙏🏻
जय-जय श्री राधे