हवा में ज़ैर रळग्यो , सून सगळां गांव घर लागै
अठीनैं कीं कसर लागै , बठीनैं कीं कसर लागै
शकल सूं नीं पिछाणीजै इणां री घात मनड़ै री
किंयां अळगां री ठा' जद कै , न नैड़ां री ख़बर लागै
कठै ऐ पूंछ हिलकावै , कठै चरणां में लुट जावै
ऐ मुतळब सूं इंयां डोलै , कॅ ऐ डुलता चंवर लागै
किचर न्हाखै मिनख - ढांढा ; चलावै कार इण तरियां
सड़क ज्यूं बाप री इणरै ; ऐ नेतां रा कुंवर लागै
निकळ' टीवी
सूं घुसगी नेट में आ , आज री पीढ़ी
बिसरगी संस्कृती अर सभ्यता , जद श्राप वर लागै
अठै रै सूर सूं मिलतो जगत नैं चांनणो पैलां
अबै इण देश , चौतरफै धुंवो कळमष धंवर
लागै
जगत सूं जूझसी राजिंद , कलम ! सागो निभा दीजे
कथां रळ' साच , आपांनैं किस्यो किण सूं ई डर लागै
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* राजस्थानी ग़ज़ल में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ *
ज़ैर रळग्यो =
ज़हर घुल गया / , सून = सुनसान / , सगळां = समस्त् / , लागै = लगता है –
लगती है - लगते हैं / , अठीनैं = इधर / , बठीनैं = उधर / , कीं = कुछ , नीं पिछाणीजै = नहीं पहचानी जाती है / , इणां री = इनकी / , घात मनड़ै री = मन
की घात / , किंयां = कैसे / , अळगां री = दूरस्थ की / , ठा' = मा'लूम - जानकारी होना / , नैड़ां री =
समीपस्थ की / , कठै = कहीं - कहां / , ऐ = ये /, डुलता चंवर = गुरुद्वारों में गुरु
ग्रंथसाहिब तथा मंदिर में ठाकुरजी के आगे डुलाया जाने वाला चंवर , किचर न्हाखै = कुचल देते हैं / , मिनख
- ढांढा = मनुष्य - पशु / , जद = तब / , अठै रै सूर सूं = यहां के सूर्य से / ,
चांनणो = प्रकाश / , पैलां = पहले / , चौतरफै = चारों तरफ़ / , धुंवो कळमष
धंवर = धुआं कल्मष धुंध / , सागो निभा दीजे =
साथ निभा देना / , कथां रळ' साच = मिल कर सत्य - सृजन
करें / , आपांनैं = हमको - हमें / , किस्यो किण सूं ई = कौनसा किसी से भी /
राजेन्द्र स्वर्णकार
9414682626
बहरे हजज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222
1222 1222 1222
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