तन की
दूकान देखी, धन की
दूकान देखी
वस्त्र
और आभूषण शामिल व्यापार में
फल–फूल, दही–दूध, मेवा, तरकारी, तेल
राग-रङ्ग
हाज़िर हैं विविध आकार में
रक्त
बिके, बीज बिके, मानव के अङ्ग बिकें
माटी
– पानी – हवा बिके सील पैक ज़ार में
सिर्फ़
एक चीज़ यह मानव न बेच पाया
अम्मा
की दुआएँ नहीं मिलतीं बाज़ार में
दादा-दादी
सङ्ग खूब खेलते थे खेल और
नानी-नाना
सङ्ग हम गप्पें भी लड़ाते थे
पास
के ही नहीं दूर दूर के भी रिश्तेदार
हर
तहवार पर बोहनी कराते थे
सच
जानिये हमारी छोटी-छोटी ख़ुशियों पे
पास औ
पड़ौस वाले फूले न समाते थे
हाँ
मगर एक और बात है कि यही लोग
भूल
करने पे हमें डाँट भी लगाते थे
डाँटने
के बाद वाला प्यार मिलता हो जिसे
वही
जानता है प्यार कैसे किया जाता है
सूई
में धागा पिरो के फूलों को बनाते हुये
प्यार
का रूमाल हौले-हौले सिया जाता है
हृदय
की बावड़ी से थोड़ा-थोड़ा खींच कर
प्यार
का अमृत हौले-हौले पिया जाता है
सौ
बातों की एक बात यूँ समझ लें 'नवीन'
प्यार
पाना हो तो विष-पान किया जाता है
विष
का वमन कभी कीजिये नहीं जनाब
कीजिये
तो अमृत की धार भी बहाइये
अमृत
बहाना यदि सम्भव न हो सके तो
प्यार
के दो मीठे-मीठे बोल ही सुनाइये
प्यार
के दो मीठे बोल भी न बोल पाओ यदि
मुस्कुराते
हुये दिलों में जगह पाइये
ये भी
जो न हो सके तो ऐसा कीजिये ‘नवीन’
जा के
किसी दरपन से लिपट जाइये
नवीन
सी. चतुर्वेदी
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