1 जून 2014

आज सपने में सेज साँवरौ मिल्यौ री मोहि - बिहारी [बिहारी सतसई वाले नहीं]

बिहारी [बिहारी सतसई वाले नहीं]

आज सपने में सेज साँवरौ मिल्यौ री मोहि
लीन्ही अङ्क आनि, सबै कानि-कुल गई री

मोहन मुदित मो सों मन की करन लाग्यौ
मदन-मनोरथ पै मैं हू तुल गई री

क़हत बिहारी जो थी होनी, सो न होन पाई
का कहों कैसें कहों री बुद्धि डुल गई री

अङ्ग खुल गये, रति-रङ्ग खुल गये, नीबी –
बन्ध खुल गये, तौ लौं आँख खुल गई री 

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