एक
लाइन में आउते बालक
एक लाइन में जाउते बालक
एक लाइन में जाउते बालक
धूर-मट्टी
उड़ाउते बालक
मैल मन कौ मिटाउते बालक
मैल मन कौ मिटाउते बालक
लौट
सहरन सूँ आउते बालक
जोत की लौ बचाउते बालक
जोत की लौ बचाउते बालक
बन
सकतु ऐ नसीब धरती पै
देख पढ़ते-पढाउते बालक
देख पढ़ते-पढाउते बालक
रूस
बैठी गरूर की गुम्बद
गुलगुली सूँ मनाउते बालक
गुलगुली सूँ मनाउते बालक
किस्न
बन कें जसोदा मैया कूँ
ता-ता थैया नचाउते बालक
ता-ता थैया नचाउते बालक
कितनी
टीचर कितेक रिस्तेदार
सब की सब सूँ निभाउते बालक
सब की सब सूँ निभाउते बालक
घर
की दुर्गत हजम न कर पाये
हँस कें पत्थर पचाउते बालक
हँस कें पत्थर पचाउते बालक
और
एक दिन असान्त ह्वे ई गये
सोर कब लौं मचाउते बालक
सोर कब लौं मचाउते बालक
[भाषा धर्म के अधिकतम निकट रहते
हुये भावार्थ-गजल ]
आउते
- आते हुये, जाउते - जाते हुये - इस
तरह से क्रिया शब्दों को पढ़ने की कृपा करें।
अन्तिम शेर के मचाउते को 'कब तक शोर मचाते' के अभिप्राय के साथ पढ़ें।
एक
लाइन में आउते बालक
एक लाइन में जाउते बालक
एक लाइन में जाउते बालक
धूर-मट्टी
उड़ाउते बालक
मैल मन कौ मिटाउते बालक
मैल मन कौ मिटाउते बालक
लौट
शहरों से आउते बालक
जोत की लौ बचाउते बालक
जोत की लौ बचाउते बालक
बन
सके है नसीब धरती पर
देख, पढ़ते-पढाउते बालक
देख, पढ़ते-पढाउते बालक
रूठ
बैठी गरूर की गुम्बद
गुलगुली से मनाउते बालक
गुलगुली से मनाउते बालक
किस्न
बन के जसोदा मैया को
ता-ता थैया नचाउते बालक
ता-ता थैया नचाउते बालक
कितनी
टीचर कितेक [कितने सारे] रिस्तेदार
सब की सब से निभाउते बालक
सब की सब से निभाउते बालक
घर
की दुर्गत हजम न कर पाये
हँस के पत्थर पचाउते बालक
हँस के पत्थर पचाउते बालक
और
एक दिन असान्त हो ही गये
सोर कब तक मचाउते [मचाते] बालक
सोर कब तक मचाउते [मचाते] बालक
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंकैसी सुघर ग़ज़ल भैया ,वैसी ही सुघर भासा ऊ अरु बालक हू ...वाह वाह ...
जवाब देंहटाएंकैसी सुघर ग़ज़ल सुनाउते नवीन
बालक हू कैसे होवत भये प्रवीन |.
जय हो..
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