देखत रह गए ताल-तलैया भैंस पसर गई दगरे में
गरमी झेल न पाई भैया भैंस पसर गई दगरे में
दगरा - दो गाँव के बीच का पग्डण्डी से बड़ा मगर धूल भरा कच्चा रास्ता, कच्ची सड़क नहीं
बीस बखत बोल्यौ हो तो सूँ दानौ पानी कम न परै
अब का कर्तु ए हैया-हैया भैंस पसर गई दगरे में
भेंस जब रास्ते में पसर जाती है तो उसे उठाने के क्रम में की जाने वाली आवाज़ों में से एक
ऐसी-बैसी चीज समझ मत जे तौ है सरकार की सास
जैसें ई देखे नकद रुपैया भैंस पसर गई दगरे में
कारी मौटी धमधूसर सी नार थिरकबे कूँ निकरी
नाचत-नाचत ता-ता थैया भैंस पसर गई दगरे में
धमधूसर - अति मोटी
खान-पान के असर कूँ देखौ जैसें ई कीचम-कीच भई
पड़-पड़ भज गई गैया-मैया, भैंस पसर गई दगरे में
[ब्रजभाषा - ग्रामीण]
:- नवीन सी, चतुर्वेदी
देखते रह गए ताल-तलैया भैंस पसर गई दगरे में
गरमी झेल न पाई भैया भैंस पसर गई दगरे में
दगरा
- दो गाँव के बीच का पग्डण्डी से बड़ा मगर धूल भरा कच्चा रास्ता, कच्ची सड़क नहीं
बीस बार बोला था तुझ से दाना-पानी कम न पड़े
अब क्या करता है हैया-हैया भैंस पसर गई दगरे में
भेंस जब रास्ते में पसर जाती है तो उसे उठाने के क्रम में की जाने
वाली आवाज़ों में से एक
ऐसी-वैसी चीज समझ मत ये तो है सरकार की सास
जैसें ही देखे नकद रुपैया भैंस पसर गई दगरे में
काली मौटी धमधूसर सी नार थिरकने को निकली
नाचत-नाचत ता-ता थैया भैंस पसर गई दगरे में
धमधूसर
- अति मोटी
खान-पान के असर को देखौ जैसें ही कीचम-कीच हुई
पड़-पड़ भज गई गैया-मैया, भैंस पसर गई
दगरे में
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