और मुहब्बत क्या करेगी।
अपना ही दम घोंट लेगी॥
सब की तारीफ़ें करेगी।
दोष बस हम पर मढेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
आ गयी फिर याद उन की।
दर्द को दुगुना करेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
सर्द हो जायेंगी साँसें।
ओस अँखियों से झरेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
जिस्म पड़ जायेगा ठण्डा।
रूह की बाती जलेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
कोई हम जैसा नहीं है।
इस भरम को तोड़ देगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
सामने ला-ला के उस को।
मूँग छाती पर दलेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
*******
शाम को वो आ रहे हैं।
रात भर महफ़िल जमेगी॥
बात होती ही नहीं जब।
बात किस तरह बनेगी॥
आदमी पत्थर के हो गये।
आस किस दिल में पलेगी॥
मौत से मिल लो, नहीं तो।
उम्र भर पीछा करेगी॥
ये जहाँ खाली पड़ा है।
दूसरी दुनिया बसेगी॥
आफ़ताबो रह्म खाओ।
तीरगी भी साँस लेगी॥
अपना ही दम घोंट लेगी॥
सब की तारीफ़ें करेगी।
दोष बस हम पर मढेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
आ गयी फिर याद उन की।
दर्द को दुगुना करेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
सर्द हो जायेंगी साँसें।
ओस अँखियों से झरेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
जिस्म पड़ जायेगा ठण्डा।
रूह की बाती जलेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
कोई हम जैसा नहीं है।
इस भरम को तोड़ देगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
सामने ला-ला के उस को।
मूँग छाती पर दलेगी॥
और मुहब्बत क्या करेगी॥
*******
शाम को वो आ रहे हैं।
रात भर महफ़िल जमेगी॥
बात होती ही नहीं जब।
बात किस तरह बनेगी॥
आदमी पत्थर के हो गये।
आस किस दिल में पलेगी॥
मौत से मिल लो, नहीं तो।
उम्र भर पीछा करेगी॥
ये जहाँ खाली पड़ा है।
दूसरी दुनिया बसेगी॥
आफ़ताबो रह्म खाओ।
तीरगी भी साँस लेगी॥
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122
शुक्रिया नवीन भई ... लाजवाब ग़ज़लें पढवाने का ...
जवाब देंहटाएंअलग अंदाज़ लिए है हर गज़ल ... सुभान अल्ला ...
वाह...बहुत सुन्दर और दिलकश ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (07-11-2013) को "दिमाग का फ्यूज़" (चर्चा मंच 1422) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर रचना
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