लौट
आमंगे सब सफर बारे
हाँ
‘नवीन’ आप के सहर बारे
आँख
बारेन कूँ लाज आबतु ऐ
देखत्वें
ख्वाब जब नजर बारे
नेंकु
तौ देख तेरे सर्मुख ई
का-का
करत्वें तिहारे घर बारे
एक
कौने में धर दयौ तो कूँ
खूब
चोखे तिहारे घर बारे
रात
अम्मा सूँ बोलत्वे बापू
आमत्वें
स्वप्न मो कूँ डर बारे
खूब
ढूँढे,
मिले न सहरन में
संगी-साथी
नदी-नहर बारे
जहर
पी कें सिखायौ बा नें हमें
बोल जिन बोलियो जहर बारे
[भाषा धर्म के अधिकतम निकट रहते हुये उपरोक्त गजल का भावार्थ]
लौट आएँगे सब सफ़र वाले
हाँ ‘नवीन’ आप के नगर वाले
आँख वालों को लाज आती है
ख़्वाब जब देखें हैं नज़र वाले
नेंक [ज़रा] तो देख तेरे सामने ही
क्या-क्या करते हैं तेरे घर वाले
एक कोने में धर दिया तुझ को
खूब चोखे [अच्छे] हैं तेरे घर वाले
रात अम्मा से कहते थे बापू
आते हैं स्वप्न मुझको डर वाले
खूब ढूँढे, मिले न शहरों में
संगी-साथी नदी-नहर वाले
ज़ह्र पी के सिखाया उसने हमें
बोल मत बोलना ज़हर वाले
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
कल 23/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!