19 नवंबर 2013

लौट आमंगे सब सफर बारे - नवीन

लौट आमंगे सब सफर बारे
हाँ ‘नवीन’ आप के सहर बारे

आँख बारेन कूँ लाज आबतु ऐ
देखत्वें ख्वाब जब नजर बारे

नेंकु तौ देख तेरे सर्मुख ई
का-का करत्वें तिहारे घर बारे

एक कौने में धर दयौ तो कूँ
खूब चोखे तिहारे घर बारे

रात अम्मा सूँ बोलत्वे बापू
आमत्वें स्वप्न मो कूँ डर बारे

खूब ढूँढे, मिले न सहरन में
संगी-साथी नदी-नहर बारे

जहर पी कें सिखायौ बा नें हमें
बोल जिन बोलियो जहर बारे


[भाषा धर्म के अधिकतम निकट रहते हुये उपरोक्त गजल का भावार्थ]

लौट आएँगे सब सफ़र वाले
हाँ ‘नवीन’ आप के नगर वाले

आँख वालों को लाज आती है
ख़्वाब जब देखें हैं नज़र वाले

नेंक [ज़रा] तो देख तेरे सामने ही
क्या-क्या करते हैं तेरे घर वाले

एक कोने में धर दिया तुझ को
खूब चोखे [अच्छे] हैं तेरे घर वाले

रात अम्मा से कहते थे बापू
आते हैं स्वप्न मुझको डर वाले

खूब ढूँढेमिले न शहरों में
संगी-साथी नदी-नहर वाले

ज़ह्र पी के सिखाया उसने हमें
बोल मत बोलना ज़हर वाले


:- नवीन सी. चतुर्वेदी

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122 1212 22

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