Jagjit Singh |
बूढ़े या कि ज़वान, सभी के मन को भाये|
गीत-ग़ज़ल के रंग, अलग हट कर दिखलाये||
सात समंदर पार, अमन के दीप जलाये|
जग जीता, जगजीत, ग़ज़ल सम्राट कहाये||
तुमने तो सहसा कहा था, मुझको अब तक याद है|
गीत-ग़ज़ल से ही जगत ये, शाद और आबाद है||
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छप्पय छंद
कुल छह चरण
पहले चार चरण रोला के - 11+13=24 मात्रा
अंत के दो चरण उल्लाला छंद के
उल्लाला छंद भी कई प्रकार के होते हैं
इस ऊपर वाले छंद में 15+13=28 मात्रा वाले उल्लाला छंद के दो चरण लिए गए हैं
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छप्पय छंद
कुल छह चरण
पहले चार चरण रोला के - 11+13=24 मात्रा
अंत के दो चरण उल्लाला छंद के
उल्लाला छंद भी कई प्रकार के होते हैं
इस ऊपर वाले छंद में 15+13=28 मात्रा वाले उल्लाला छंद के दो चरण लिए गए हैं
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