अतीत से समाज
की विडम्बना समान है।
‘लकीर के फ़क़ीर’ विश्व का यही विधान है।।
अबाध
वेग से यही प्रभायमान हो रहा।
समाज के लिये मरे, वही मनुष्य रो रहा।१।
चलो
कि ये विधान मोड़ के रचें नवीनता।
चलो
कि आज छीन लायँ वक़्त से मलीनता।।
समस्त
दिग्दिगांत झूम जायँ वो प्रयास हो।
अखण्ड मानवाधिकार तत्व का विकास हो।२।
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पञ्चचामर छन्द
चार चरण का वर्णिक छंद
प्रत्येक चरण में लघु गुरु के क्रम से सोलह वर्ण / अक्षर
ल ला - ल ला - ल ला - ल ला - ल ला - ल ला - ल ला - ल ला
रावण रचित शिव ताण्डव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम
तथा राष्ट्रकवि जयशंकर प्रसाद विरचित
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो ॥
स्वयंप्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो ॥
इसी छंद में हैं
कल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हमेशा कुछ नया दे जाते हैं आदरनीय नवीन भाई...
जवाब देंहटाएंशिव तांडव स्त्रोतम मुझे बहुत भाता है पर जानकारी नहीं थी... जानने के बाद गा रहा हूँ तो ज्यादा ही आनंद आ रहा है.... सचमुच.... पञ्चचामर छंद की जानकारी के लिए सादर आभार...
अच्छी जानकारी के साथ सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंवाह ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंचलो कि ये विधान मोड़ के रचें नवीनता।
जवाब देंहटाएंचलो कि आज छीन लायँ वक़्त से मलीनता।।
....बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
पंचचामर छंद की जानकारी देने हेतु आभार.ज्ञानवर्द्धन हुआ.
जवाब देंहटाएंपंच चामर छंद में बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंपञ्चामर,चामर,नाराच,चंचला में क्या अंतर है ?
जवाब देंहटाएंपञ्चामर,चामर,नाराच,चंचला में क्या अंतर है
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