11 अक्तूबर 2011

छोरा-छोरी दिखते, बिना लगाम

अन्तर में दावानल, दृग - बरसात। 
तेरी मेरी सब की, ये ही बात।१।

किया वर्चुअल जग ने, ऐसा काम।  
छोरा-छोरी दिखते, बिना लगाम।२।

ऐसी बढ़ी आज कल, भागमभाग।
थाली से हैं गायब, रोटी साग।३।

मनवा व्याकुल भटके, तन अकुलाय।
यह कैसी उन्नति, जो, सुख को खाय।४।


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बरवै छंद

12+7=19 मात्रा वाला मात्रिक छंद
दोहे की तरह दो चरण - चार पद
पहला और तीसरा पद 12 मात्रा 
दूसरा और चौथा पद 7 मात्रा
दूसरे और चौथे पद के अंत में गुरु लघु अक्षर 

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