बातों की परवा क्या करना, बातें करते लोग।
बात-कर्म-सिद्धांत-चलन का, नदी नाव संजोग।।
कर्म प्रधान सभी ने बोला, यही जगत का मर्म।
काम बड़ा ना छोटा होता, करिए कभी न शर्म।१।
वक़्त दिखाए राह उसी पर, चलता है इंसान।
मिले वक़्त से जो जैसा भी , प्रतिफल वही महान।।
मुँह से कुछ भी कहें, समय को - देते सब सम्मान।
बिना समय की अनुमति, मानव, कर न सके उत्थान।२।
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सरसी छंद
16+11=27 मात्रा वाला मात्रिक छंद
कुल चार चरण
प्रत्येक चरण के अंत में गुरु लघु
कल 05/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
छंद से भी परिचय मिला और जीवन के सत्य से भी ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी सदा चमत्कृत करती है!
जवाब देंहटाएंनया परिचय... सशक्त छंद...
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
sundar prastuti
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